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जन-जन में लगी होड़,
किसका अव्वल नम्बर ,
कोई नष्ट करे जंगल,
कोई छेड़ रहा अम्बर ।
कचरे से पटी सरिता,
छलनी है धरणी का वक्ष,
कोई तोड़ रहा *पहाड़* ,
प्राकृतिक दोहन में दक्ष ।
मिलावट का कोई नायाब,
भ्रष्टाचार कुछ के रग में ,
ईर्ष्या -द्वेष से ओत-प्रोत,
प्रेम रहित विचरें जग में ।
दिखावा करें नारी सम्मान,
वासना ही उनका निशाना,
ऐसे जन से बचना मुश्किल,
मुखौटा जिनका अनजाना ।
#पारसनाथ जायसवाल ‘सरल’
मनकापुर गोण्डा ।
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