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आए वतन पे खतरा वो जान भी लगा दो,
ये मुल्क के जवानों जंग का ज़ूनून भर लो।
इसी जंग के कोने में कहीं जन्नत नजर आएगी,
जंग आ ही जाए सर पे तो जुल्म भी तू कर ले।
आजाद मुल्क है तो आजाद हम रहेंगे,
कुर्बानियों की खातिर,कफन का ताज धर लो।
ये जमीं तुम्हारा,ये आंसमा तुम्हारा,
अपनी आबरू की खातिर,अरमान दिल में भर लो।
रश्के जीना वतन है,अपना इस ज़हाँ में,
पांसवा है हर जंवा,गुलिस्तान दिल में भर लो।
है नहीं जहां में कोई भी अपना मरहम,
दर्दनिया के दिल में रखकर उड़ान भर लो।
मजहब की बात छोड़ो,हम साया है अपना,
गुलशन में बहुत फूल हैं,सब फूलों से प्यार कर लो॥
#रुपेश कुमार
परिचय : चैनपुर ज़िला सीवान (बिहार) निवासी रुपेश कुमार भौतिकी में स्नाकोतर हैं। आप डिप्लोमा सहित एडीसीए में प्रतियोगी छात्र एव युवा लेखक के तौर पर सक्रिय हैं। १९९१ में जन्मे रुपेश कुमार पढ़ाई के साथ सहित्य और विज्ञान सम्बन्धी पत्र-पत्रिकाओं में लेखन करते हैं। कुछ संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है।
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