झलक

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मेरी जुबान तै मीठी नहीं सै
पर मेरा दिल मीठा सै
कभी भी कोई कुछ
कह देवे तो उसका हो जावै सै
यहां पर तो मैंने देख्या सै
एक बड़ी अजीब सी दास्तां सै
हंसला तो लोग जलै सै
अर कठिनाई भुगता तो अनेक सवाल करे सै
अपने ही अपने को लुट लेवे सै
या प्रथा काफी पुरानी सै
लेकिन जिक्रा इसका ईब होण लाग्या सै
गेरों को पता नहीं चाले
कि इस दिल की दिवार कितनी
कमजोर सै
अर कहां तै सै
नफरत के बाजार में
जीना का अलग नजारा हो सै
लोग तो रूलान की कोशिश करे
हाम फेर भी हांसे जावां सां
मेरी तो पुरी जिन्दगी बदल गयी सै
कुछ ढंुंढण में।
ढुंढना क्या सै इनकी अभी
खोज करण लाग्यरया सूं
लेकिन मैं के करूं
जिसने ढुंढण की
तलाश करां वां
तलाश एक तरह सिमट कर
रह जावै सै
इस सकून मैं
फेर सोच्यां सा
कि जो मिला सै
वो कहां से ल्याया
था
कहां लेकर जावेगा
अगर मैं फुर्सत
निकाल कै अपनी
महफिल जमाण लाग जाऊं
तो
लौटते समय अपना दिल
नहीं आवंगे, सीने में।
मेरी आवाज को तुम
महफूज कर लो
क्या पता महफिल में
कब सन्नाटा हो जाये
ये सै जिन्दगी के कुछ
पल की झलक
बातें बीती
आज जब अपने
पुराने दिनों की
ताजा करने को
स्कूल की चार
दिवारी के अन्दर
जब मैं घुसा
तो एक टक
उसे देखता ही रह गया
मेरी आंखें चूंध गई
मेरे को लगा कि
कही दूसरी ओर
घुस आया
क्योंकि
जहां मैंने शिक्षा
ली
वो ओर स्कूल था
गेट भी नया
दरवाजे भी नये
कमरे भी नये
केवल जगह वही
न वो विज्ञान कक्ष
न पानी की टंकी
न वो शिक्षार्थी
न वो शिक्षक
न वो चपरासी
न वो लिपिक
वहां ऐसा लग रहा था
जैसे शहर की
हवा गांव के
स्कूल को लग गई हो
मेरा स्कूल
काफी बदलता
हुआ महसूस
कर रहा
हूं
आज के युग
जैसा
न वो मित्र
न वो पढाई
न वो पेड़
न वो मैदान
सब कुछ बदलग्या
मेरे गांव के
स्कूल का।

खान मनजीत भावड़िया मजीद

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, भावड़

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।