कलयुग में भी लोग प्यार को दिल से वो समझते है।
दिल से प्यार के बारे में
बहुत कुछ सोचते है।
जबकि हम इंसानों से
इंसानियत ही रखते है।
हमदर्दी के नाम पर,
कुछ और समझ वो बैठे है।
अपने दिल को वो
मानो समर्पित हमे करते है।
ऐसे सोचने वालो को
हम अब क्या नाम दे।
जबकि दिल में प्यार नही है।
बस रिश्ता है इंसानियत का।
हमदर्दी की बातों को भी
दिल से लगा के बैठे है।।
कुछ ने तो हमे फोन किया,
हम तुम पर जान देते है।
मेरे दिल हर धड़कनों में
अब बस तुम ही तुम बसते हो।
मेरी हर धड़कन की आवाज सुनकर तुम देख लो।
नाम तुम्हारा ही आता है
मेरी हर अब सांसों में।।
तुम ही बता दो मुझको
आगे अब में क्या करूँ।
अब ये दिल मेरे से बिल्कुल भी नही संभालता।।
दिल को तेरी हर कविता और गीत मुझे बहुत भाते है।
हर शब्द तुम्हे गीतों के
दिल मे बैठ जाते है।
प्यार व्यार में न जानू
बस दिल के तुम मेरे मालिक हो।
जैसे भी तुम बोलोगे
ये दिल वैसा कर जाएगा।
बस मेरी तुम एक तमन्ना
मिलाकर पूरी आज कर दो।
दिल के हर धड़कनों में
अपनी सांसे तुम भर दो।
जब तक जीऊँगी इस दुनियां में,
नाम तुम्हारा लेती रहूंगी।
संजय ही मेरे दिल का
राजा है।
इसके साथ ही में अब जीऊँगी।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।