तेरे ख़्यालों में रहना अच्छा लगता है ।
यादों के दरिया में बहना अच्छा लगता है ।।
तेरे दिल में सांसें लेना अच्छा लगता है ।
इंतज़ार के पल पल सहना अच्छा लगता है ।।
ख़ुशबू में तेरी महक़ना अच्छा लगता है ।
इश्क में तेरे बहकना अच्छा लगता है ।।
मेरे सताने पर चिढ़ जाना अच्छा लगता है ।
साथ पाकर यूं खिल जाना अच्छा लगता है ।।
बारिशों में साथ टहलना अच्छा लगता है ।
पल पल तेरे साथ निखरना अच्छा लगता है ।।
सर्द रातों में बिन तेरे सिसकना अच्छा लगता है ।
मेरे दिल में बस तेरा रहना अच्छा लगता है ।।
रेत पर नाम मिटाकर लिखना अच्छा लगता है ।
दुनिया से यूं प्यार छुपाना अच्छा लगता है ।।
तुमको पाकर यूं मुस्कुराना अच्छा लगता है ।
‘मैं’ से यूं ‘हम’बन जाना अच्छा लगता है ।।
डॉ वासिफ क़ाज़ी
इंदौर ( काज़ीकीक़लम )