गये थे एक बारात में
में अपने मिलने वालों की।
वहां जाकर पता चला
ये तो आदर्श ब्याहा है।
जिसमें कई चीजें
मुझे बहुत अच्छी लगी।
फिजूल खर्च इसमें
बिल्कुल भी नही था।
ये आज के जमाने के,
बिल्कुल विपरीत था।
और ये जैन समाज के लिए बड़ी बात है।
क्योंकि आजकल के
बच्चो में,
शो करना बहुत ज्यादा है।
परन्तु जैन पद्धित से
शादी करना,
एक अलग ही बात है।
जो लोगो को आजकल,
बहुत ही भा रही है।।
क्योकि जैनों का पैसा,
उनके तीर्थ स्थानों को ही जा रहा है।।
इसमें न कोई दस्तूर,
और रीति रिवाज।
न कोई शिकवे और शिकायते।
सभी कार्यक्रम सम्पन्न हुए,
जैन धर्म के अनुसार।
शादी पहले हुई सम्पन्न,
फिर निकली दूहला दुल्हन
की बारात,
जिसे हम कह सकते है राम जानकी यात्रा।
फिर हुआ द्वारचार और समधियों का मिलन।
और फिर हुई वर माला,
और आशीर्वाद देने का दौर।
सभी रिश्तेदारों ने और बारातियों ने,
किया बहुत मौज मस्ती।
चलन अब ऐसी ही, शादियों का आने वाला है।
जिसमें फिजूल खर्च और
दिखावा का,
हो जाएगा अंत।
में देता हूँ वर वधू को,
दिल से आशीर्वाद।
रहो गृहस्थ जीवन में,
तुम दोनों सदा सुखी।
यही शुभकामनाएं वर वधु को,
संजय देता है दिल से।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।