“टूटते पुल”

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archana anupriya

टूट रहे हैं पुल हर जगह
गिर रहा है इन्सान
दौलत जीत रही है अब तो
आदमी बन रहा हैवान..

चंद सिक्कों की खातिर सब
तुले हैं बेचने पर ईमान
समर्थ लगे हैं लूटपाट में
जनता हो रही परेशान..

चल पड़ा है अजीब सा अब
दौर हर दिन के हादसों का
कोई समाचार-पत्र देख लो
कल का हो या परसों का..

मामला किसी शहर का हो
या फिर हो अपने सरहद का
छोटा हो रहा है जमीर
हर आदमियत के कद का..

पुल सिर्फ सड़कों के ही नहीं
दिलों के भी हैं गिर रहे
भले अंतरिक्ष का स्वप्न संजो रहे
पर अनैतिकता से घिर रहे..

दो पीढ़ी के बीच समाज मेंं
नैतिकता के पुल टूट रहे
आजादी के नाम पर हम
अपनी संस्कृति से ही छूट रहे..

पुल टूटें जब सड़कों पर
आहतों पर धन-वर्षा कर दें
चार दिन चीखेगी मीडिया
घरों में हम चर्चा कर लें..

कैंडल, धरना, मार्च, नेतागण
थोड़े दिन सभी फिक्र कर लेंगे
फिर सब सामान्य पहले सा
सभी जख्मी दिल सब्र कर लेंगे..

कुछ दिन चलेगी वार्ता खोखली
पुनः होगा कोई नया हादसा
दौड़ पड़ेगी मीडिया फिर से
छोटी के आगे बड़ी लाइन-सा..

ऐसे कब तक चलेगा भला?
कब तक जिम्मेदारी से भागेंगे?
जनता-सरकार, सरकार-जनता
कब अपने कर्तव्य में जागेंगे?..

एक सिक्के के दो पहलू हैं
अधिकार है तो कर्तव्य भी है
गर नैतिक मूल्य और ईमानदारी है
तब सुखद फल तो तय ही है..

सब कुछ तो अपना ही है न
देश हमारा, लोग हमारे
क्यों न हम झकझोरें खुद को
क्यों न सँभल जायें हम सारे..
      #अर्चना अनुप्रिया

परिचय : 
नाम-अर्चना अनुप्रिया
जन्म-पटना, बिहार
पता-  नयी दिल्ली
शिक्षा-एम.ए.;एल.एल.एम.;पी.जी.डी.बी.एम.;फैशन डिजाइनिंग
व्यवसाय-अधिवक्ता एवं शिक्षिका
विशेष-क)पेशे से वकील होते हुए भी साहित्य में खास रुचि

ख) महिलाओं तथा   जरूरतमंदों के अधिकारों के लिए प्रयासरत

ग) पत्र-पत्रिकाओं में यदा कदा रचनाओं का प्रकाशन

घ) आकाशवाणी में साहित्यिक वार्ता

सम्प्रति-स्वतंत्र लेखन एवं समाज सेवा

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।