
मन आज बहुत उदास है
दिल मे आज भी प्यास है।
कैसे कहे हम उनको
की हमे तुम से प्यार है।
मिलते 2 वर्षो बीत गए
पर बात दिल की कह न सके।।
उम्र के इस पड़ाव पर भी वो हमें याद है।
कहा है और कैसे होंगे,
कुछ भी नही है पता।
जब भी तन्हा होता हूँ,
उनके बारे में ही सोचता हूँ।।
कि क्यो नही बोला
उनको दिल की बात?
शायद वो भी यही सोचकर खामोश रहे,
कि कभी तो बोलेंगे।
कब से हम दोनों मिलते आ रहे है।
पर क्यो नही बोल पा रहे है, की हमे प्यार है तुमसे।
समझ दोनों नही पाए,
कि कैसे करे प्यार का इजहार।।
आज एकाएक मुलाकात उनसे हो गई।
मिलकर पुरानी याद ताजा हो गई।
देखकर वो भी हमे खुश हो गये।
हम भी मुस्कराकर उनके हो गए।
बातो ही बातो में पता चला,
की वो आज भी तन्हा है।
जैसे कि में अकेला हूँ।
वो हमें हम उन्हें देखते ही रहे।
कुछ उन्होंने जिंदगी की
दास्तान सुनाई,
तो कुछ हमने अपनी सुनाई।
सुबह से शाम कब हो गई
पता ही नही चला।।
और फिर से बिछड़ने का
वक्त आ गया।
चलते चलते दे गये संदेश,
की हम बने है एक दूसरे के लिए।
इसलिए तो अब तक दोनों अकेले है।
प्यार का ये तरीका बहुत ही निराला है।
क्योकि दोनों ने एक दूसरे को, ही अपना माना है।
बहुत कम होते है ऐसे लोग,
जो प्यार को पूजा और करने वालो को तपस्या समझते है।
समाज मे ऐसे उदाहरण,
देखने को कम ही मिलते है।।
क्योकि प्यार कोई वासना और शारीरिक,
संबंध के लिए नही होता।
प्यार तो दो दिलो की, भावनाओ का मिलन होता है।
इसलिए तो प्यार का नाम, इतिहास में स्वर्ण अक्षरो से लिखा जाता है।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।