प्यार का दीपक ज़लाओ इस अंधेरे मे ,
रुप का जलवा दिखाओ इस अंधेरे मे ,
दिलो का मिलना दिवाली का ये पैगाम ,
दुरिया दिल का मीटाओ इस अंधेरे मे !
अजननी है भटक न ज़ाए कही मंजिल ,
रास्ता उसको सुझाओ इस अंधेरे मे ,
ज़िन्दगी का सफर है मुश्किल इसलिए ,
कोई हमसफर हमदम बनाओ इस अंधेरे मे !
हाथ को न हाथ सुझे आज का ये दौर ,
रोशनी बन जगमगाओ इस अंधेरे मे ,
अंध विश्वासो के इस मन्दिर मजारो मे ,
सत्य की शमा ज़लाओ इस अंधेरे मे !
रोशनी बन जगमगाओ इस अंधेरे मे !
#रूपेश कुमार
छात्र एव युवा साहित्यकारजन्म – 10/05/1991शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर)बी.एड (अध्ययनरत)( महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी)वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !विभिन्न राष्ट्रिय पत्र पत्रिकाओ मे कविता,कहानी,गजल प्रकाशित !कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !चैनपुर,सीवान बिहार – 841203