जीवन जीने के लिए यह सत्य है कि स्वस्थ रहना बहुत ही ज़रूरी है। क्योंकि, जीवन का मुख्य आधार ही स्वास्थ है। जब किसी भी व्यक्ति का स्वास्थ उसकी दिनचर्या के अनुरूप नहीं होता तो वह व्यक्ति कदापि अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता। यदि जीवन में सफल होना है तो स्वस्थ होना बहुत ही आवश्यक है। यदि शब्दों को बदलकर कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा कि स्वास्थ ही जीवन की मुख्य कुन्जी है जब किसी भी व्यक्ति का स्वास्थ सही होता है तो वह व्यक्ति पूर्ण रूप से फिट होता है, जब कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से फिट होता है तो उसका मस्तिष्क भी उतनी ही तीव्रता के साथ कार्य करता है। जितना की शरीर। जब शरीर सबल एवं प्रबल होता है तो मस्तिष्क का प्रबल होना स्वाभाविक है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसका बौद्धिक विकास होना अति आवश्यक है। जबतक किसी भी व्यक्ति का बौद्धिक विकास नहीं होता तो कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। अतः यह सिद्ध हो जाता है कि व्यक्ति के जीवन में फिट एवं स्वस्थ होना बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए व्यक्ति को योग करना अति आवश्यक हो जाता है। योग जीवन का मुख्य हिस्सा है। इसे प्रत्येक व्यक्ति को स्वीकार्य करना चाहिए साथ ही अपनाना भी चाहिए। यह सत्य है कि यदि सफल जीवन व्यतीत करना है तो योग बहुत ही आवश्यक है। योग के बीना जीवन तो जीवन ही नहीं रहा। क्योंकि शरीर के बोझ को ढ़ोने को जीवन नहीं कहते। यदि शब्दों को बदल कर कहा जाए तो जब भी आप स्वस्थ नहीं होते तो प्रत्येक स्थान पर आप नरवश हो जाते हैं और अपने आपको अक्षम पाते हैं। फिर चाहे दौड़ना अथवा पैदल चलना। दूर की कौड़ी लाना उचित नहीं होगा। उदाहरण स्वरूप आज के युग में यदि आप प्रकाश डालिए तो दुनिया में फैली हुई महामारी ने जिस प्रकार का अपना प्रकोप दिखाया है वह किसी से भी छिपा हुआ नहीं है। विश्व स्वास्थ संगठन की रिपोर्ट के अनुसार आज के समय में जो भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की बड़ी बीमारी से ग्रस्त है उसको आज के समय में इस महामारी से निपटने में काफी हद तक जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। एक स्वस्थ व्यक्ति के अनुपात में अस्वस्थ व्यक्ति को आज के समय में इस महामारी से निपटने के लिए काफी हद तक संघर्ष करना पड़ रहा है। इसलिए यह सिद्ध हो गया कि जीवन में स्वस्थ एवं फिट रहना अत्यंत आवश्यक है। फिट रहना एवं योग करना हमारी प्राचीन परमपरा रही है भारत ने अपनी उसी प्राचीन विरासत को आगे बढ़ाते हुए एक दिवस निर्धारित कर दिया जिससे की पूरे विश्व में संदेश जाए। इससे भारत की विरासत को बल मिलेगा साथ ही भारत की विरासत का संपूर्ण संसार में वर्चस्व कायम होगा। जिससे दुनिया भारत की ओर आकर्षित होगी।
आज के समय में भारत का बच्चा-बच्चा योग के विषय में जानने लगा है। इसका कारण है कि अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाना। यह दिन वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है विचार संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम अपने भीतर एकता की भावना दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करता है।
11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है। इस पहल को कई वैश्विक नेताओं से समर्थन मिला। संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 177 से अधिक देशों कनाडा चीन और मिस्र आदि ने इसका समर्थन किया था। बता दें कि 11 दिसंबर 2014 को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से योग के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में 21 जून को मंजूरी दे दी गयी। भारत ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बड़े पैमाने पर मनाने के लिए बड़ी तैयारियां कीं जिसकी दुनिया में एक अलग पहचान बनी। योग दिवस का मुख्य समारोह दिल्ली के राजपथ पर हुआ जिसमें खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उपस्थित थे। तब प्रधानमंत्री ने राजपथ पर लगभग 36000 लोगों के साथ योग किया था। चौरासी देशों के लोगों द्वारा इस आयोजन में एक साथ भाग लेने का रिकॉर्ड भी इसी योग के नाम है।
परन्तु आज के समय में परिस्थिति बदल चुकी है कोरोना नामक महामारी ने पूरी जीवन शैली को बदलकर रख दिया। आज के समय में भीड़ जुटना अत्यंत घातक हो गया इसलिए अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना बहुत ही ज़रूरी है। परन्तु, सुरक्षा के साथ-साथ सेहत का भी ध्यान रखना उतना ही आवश्यक है। इसलिए हमें चाहिए कि अपने जीवन का केन्द्र बिन्दु योग को बनाएं प्रतिदिन अपने आवास पर स्वयं योग करें, साथ ही अपने परिवार को भी योग के लिए प्रेरित करें जिससे कि संपूर्ण भारत पूरी तरह से फिट हो सके।
वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्र चिंतक।
(सज्जाद हैदर)