नही समझा में दुनियां के,
लोगो के किरदारों को।
बस में जैसा हूँ वैसा ही,
समझा दुनियां वालो को।
मुझे क्या पता था कि,
इस मायाचारी दुनियां में।
तरह तरह के लोग
रहते है इस में।।
जिनका पूरा जीवन सिर्फ,
लोगो को छलने में निकला।
छल कपट ही इनके जीवन का,
मुख्य उद्देश्य होता है।
तभी तो ऐसे लोग
समाज को करते है बदनाम।
और पैसे को ही खुदा, समझते है ये लोग।।
ऐसे लोगो को किसी से,
नही होता है स्नेह प्यार।
और न होता खुदके
परिवार में भाईचारा।
न ही ये लोग कभी दिखाते,
किसी समाज के जलसों में।
क्योकि इन लोगो का
माई बाँप होता है पैसा।।
सिर्फ होता है पैसा।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।