पहाड़

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पिघलता है
जब हिमालय
तब जाकर कहीं
नदी में बहती है साँसें
नदी में संचरित होता है
जब जीवन
तब जाकर कहीं
खेतों में सरसों के फूल खिलते है
गेहूं की बालियाँ
लहलहाती है
धान की खुशबू महकती है
खेत हरित होते है जब
तब जाकर कहीं
पहाड़ जीवंत होते है
पिघलता है जब हिमालय
तब जाकर कहीं
पहाड़ में जीवन
प्रस्फूटित होता है
पिघलता है जब हिमालय
तब जाकर कहीं
प्रकृति में
सर्जन होता है

#शंकर सिंह परगाई
श्रीनगर गढ़वाल(उत्तराखण्ड)

matruadmin

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