Read Time41 Second

पिघलता है
जब हिमालय
तब जाकर कहीं
नदी में बहती है साँसें
नदी में संचरित होता है
जब जीवन
तब जाकर कहीं
खेतों में सरसों के फूल खिलते है
गेहूं की बालियाँ
लहलहाती है
धान की खुशबू महकती है
खेत हरित होते है जब
तब जाकर कहीं
पहाड़ जीवंत होते है
पिघलता है जब हिमालय
तब जाकर कहीं
पहाड़ में जीवन
प्रस्फूटित होता है
पिघलता है जब हिमालय
तब जाकर कहीं
प्रकृति में
सर्जन होता है
#शंकर सिंह परगाई
श्रीनगर गढ़वाल(उत्तराखण्ड)
Post Views:
528