मां भारती

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rajbala
‘ह’ से अपना हिमालय,
सिर छत्र मां का बनाएं।
‘स’ सूरज की लालिमा,
मां के भाल लगाएं।
सारे जहान में में हिन्दी को फैलाएं।
मां भारती को हम हिन्दी से सजाएं॥
‘म’ से मांग में तारे,
केश गजरा लगाएं।
काजल अमावस का,
पूनम-सा रूप सजाएं।
मां भारती को हम हिन्दी से सजाएं….॥
 ‘न’ से नाक में मोती,
‘क’ से कर्णफूल पहिनाएं।
‘ध’ से धानी ओढ़नी,
मां के अंग ओढ़ाएं।
मां भारती को हम हिन्दी से सजाएं….॥
ले वर्ण पुष्पहार,
कंठ मां का सजाएं।
सागर की ये लहरें,
बन मेखला जाएं।
मां भारती को हम हिन्दी से सजाएं….॥
व्यंजन हाथों के कंगन,
स्वर घुंघरू बन जाएं।
ताल पर झूमेगी भारती,
सरगम हिन्द जो गाएं।
मां भारती को हम हिन्दी से सजाएं….॥
वीरों के ये कंधे,
प्यारी मां की सवारी।
हंस-हंस के बोझ,
अपनी मां का उठाएं।
ले सदभाव कटारी,
दुर्भाव सारे दूर भगाएं।
सारे जहान में  हिन्दी को फैलाएं।
मां भारती को हम हिन्दी से सजाएं॥

                                                                 #राजबाला ‘धैर्य’

परिचय : राजबाला ‘धैर्य’ पिता रामसिंह आजाद का निवास उत्तर प्रदेश के बरेली में है। 1976 में जन्म के बाद आपने एमए,बीएड सहित बीटीसी और नेट की शिक्षा हासिल की है। आपकी लेखन विधाओं में गीत,गजल,कहानी,मुक्तक आदि हैं। आप विशेष रुप से बाल साहित्य रचती हैं। प्रकाशित कृतियां -‘हे केदार ! सब बेजार, प्रकृति की गाथा’ आपकी हैं तो प्रधान सम्पादक के रुप में बाल पत्रिका से जुड़ी हुई हैं।आप शिक्षक के तौर पर बरेली की गंगानगर कालोनी (उ.प्र.) में कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।