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१
सावन शृंगारित करे, वसुधा, नारि, पहाड़।
सागर सरिता सत्यशिव,नाग विल्व वन ताड़।
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२
दादुर पपिहा मोर पिक, नारी धरा किसान।
सबकी चाहत नेह जल,सावन सरस सुजान।।
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३
नारि केश पिव घन घटा, देख नचे मन, मोर।
निशदिन सपन सुहावने,पिवमय चाहत भोर।
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४
लता लिपटती पेड़ से, धरा चाहती मेह।
जीव जन्तु सब रत रति,विरहा चाहत नेह।।
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५
कंचन काया कामिनी, प्राकृत मय ईमान।
पेड़ लगा जल संचयन,सावन काज महान।।
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६
हरित तीज त्यौहार है, पूज पंचमी नाग।
रक्षा बंधन नेह मय, रीत प्रीत मन राग।।
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७
मन मंदिर झूले पड़े, पुरवा मंद समीर।
सावन मनभावन चहे, मादक हुआ शरीर।।
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८
रीत प्रीत पालो सखे, पावन सावन माह।
प्रेमभक्तिमय जगत हो,साजन साहिब चाह।।
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९
भक्ति प्रीत संयोग का, मधुरस सावन मास।
जैसी जिसकी भावना, वैसी कर मन आस।।
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१०
शिवे शक्ति आराधना, कान्हा राधा नेह।
कृषक धरा की प्रीत से, सावन बरसे मेह।।
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११
सावन का संदेश है, करो मीत उपकार।
शर्मा बाबू लाल का, नमन करो स्वीकार।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः
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