आईसीजे में भारत का बोलबाला पाक का मुँह काला।

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sajjad haidar
भारत की माटी तुझे सलाम एक बार फिर भारत विश्व के सामने गौरव के साथ सीना तानकर खड़ा हो गया है। जिसमें पाकिस्तान को मुँह को खानी पड़ी है अब पाकिस्तान के झूठ का पुलिंदा दुनिया के सामने खुल गया और पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गय़ा। अपने किए हुए करतूत में पाकिस्तान खुद ही फंस गया। यह पूरा प्रकरण अंतर्राष्ट्रीय अदालत में हुआ जिसे पूरी दुनिया ने अपनी खुली हुई आँखो से देखा। भारत-पाकिस्तान के विवादों के बीच 17 जुलाई का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ। नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में फैसला सुनाया जिसमें पाकिस्तान को करारा झटका लगा है तथा भारत की बड़ी जीत हुई है। आईसीजे में फैसले के दौरान पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल के नेतृत्व में कानूनी विशेषज्ञों की एक टीम भी हेग में मौजूद रही। परन्तु कहते हैं कि झूठ तो झूठ ही होता है उसे सच में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। सत्य की सदैव ही विजय होती है।
आईसीजे में कुलभूषण जाधव केस में सुनवाई करने वाले 16 जज में एक भारतीय और एक पाकिस्तान के जज भी शामिल है। इन सभी आईसेजे जजों की सूची इस प्रकार है।
अब्दुलकवी अहमद यूसुफ, आईसीजे अध्यक्ष-
सोमालिया के अब्दुलकवी अहमद यूसुफ आईसीजे के अध्यक्ष हैं। यूसुफ 2009 से आईसीजे के सदस्य हैं। इससे पहले वह युनेस्को में कानूनी सलाहकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं। वर्तमान समय में वह आईसीजे के अध्यक्ष हैं जोकि इस फैसले की मुख्य भूमिका में हैं। ज्ञात हो कि आईसीजे अध्यक्ष अब्दुलकवी अहमद यूसुफ काफी कठोर जज के रूप में अपनी पहचान रखते हैं जोकि न्याय के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित रहते हैं। अपनी कठोर छवि एवं सख्त जज के रूप में पहचान रखने वाले आईसीजे अध्यक्ष विश्व में सबसे अलग पहचान रखते हैं। यह एक ऐसे जज हैं जोकि विश्व में किसी भी देश के सामने झुकने वालों में से नहीं हैं। अपनी साफ सुथरी एवं ईमानदार छवि के रूप में आईसीजे अध्यक्ष दुनिया में पहचाने जाते हैं।
शू हांकिन, आईसीजे उपाध्यक्ष-
चीन की शू हांकिन जून 2010 से आईसीजे की सदस्य हैं। साल 2012 में उन्हें दोबारा चुना गया था। उन्हें 6 फरवरी 2018 में आईसीजे की उपाध्यक्ष चुना गया।
जज पीटर टॉमका-
स्लोवाकिया के जज पीटक टॉमका कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई कर रहे जोकि इस पैनल में सबसे वरिष्ठ जज हैं। ज्ञात हो कि टॉमका संयुक्त राष्ट्र में स्लोवाकिया के राजदूत भी रह चुके हैं। वह साल 2003 में आईसीजे से जुड़े हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों को देखने का उन्हें खासा लंबा अनुभव है।
जज रॉनी अब्राहम-
अब्राहम इस कोर्ट से साल 2005 से जुड़े हुए हैं। वह साल 2015 से 2018 तक आईसीजे के अध्यक्ष थे। उन्हें 6 फरवरी 2018 में एक बार फिर चुना गया।
जस्टिस दलवीर भंडारी-
जस्टिस दलवीर भंडारी अंतरराष्ट्रीय अदालत में इकलौते भारतीय जज हैं, जो कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई में शामिल हैं। जस्टिस भंडारी 2012 से आईसीजे के सदस्य हैं। भंडारी भारत के सर्वोच्च न्यायालय में जज रह चुके हैं।
जज एंटोनियो ऑगस्टो ट्रिनडाडे-
ब्राजील के एंटोनियो ऑगस्टो ट्रिनडाडे साल 2009 से आईसीजे के सदस्य हैं। उन्हें फरवरी 2018 में दोबारा चुना गया।
जज जेम्ल रिचर्ड क्रॉफोर्ड-
ऑस्ट्रेलिया के जज जेम्ल रिचर्ड क्रॉफोर्ड भारत के खिलाफ 2 बार पैरवी कर चुके हैं। उन्होंने एक बार भारत बनाम पाकिस्तान किशनगंगा डैम विवाद में क्रॉफोर्ड पाकिस्तान की तरफ से और दूसरी बार मैरिटाइम बाउंड्री विवाद में बांग्लादेश की तरफ से भारत के खिलाफ पैरवी की थी। परन्तु आईसेजे अध्यक्ष अब्दुलकवी अहमद यूसुफ काफी सख्त एवं न्याय प्रिय जज के रूप में अपनी पहचान रखते हैं इसलिए जेम्स रिचर्ड से भारत को कोई हानि नहीं हो सकती।
जज मोहम्मद बेनौना-
मोरक्को के जज मोहम्मद बेनौना साल 2006 से आईसीजे के सदस्य हैं। बेनौना साल 2001 से लेकर 2006 तक संयुक्त राष्ट्र में मोरक्को के स्थाई प्रतिनिधि थे। बेनौना को साल 2015 में एक बार फिर चुना गया।
जज जोआन ई डोनोह्यू-
अमेरिका की जज जोआन ई डोनोह्यू साल 2010 से आईसीजे की सदस्य हैं। वह 2015 में एक बार फिर चुनी गईं थीं। ज्ञात हो कि डोनाह्यू अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को अंतरराष्ट्रीय कानून पर सलाह भी देती थीं। जज जॉर्जिओ गजा-
इटली के जज जॉर्जिओ गजा फरवरी 2012 से आईसीजे के सदस्य हैं। गजा इटली सरकार की तरफ से आईसीजे में अधिवक्ता के तौर पर भी जा चुके हैं। गजा अंतरराष्ट्रीय कानून आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं।
जज पैट्रिक लिप्टन रॉबिंसन-
जमैका के जज पैट्रिक लिप्टन रॉबिंसन फरवरी 2015 से आईसीजे के सदस्य हैं। रॉबिंसन 26 सालों तक संयुक्त राष्ट्र के छठे कानूनी समिति के सदस्य रहे हैं। इसके अलावा भी वह कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सदस्य रह चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों मंै उनका अनुभव बहुत ही पुराना है।
जज जूलिया सेबुटिंडे-
युगांडा की जज जूलिया सेबुटिंडे साल 2012 से आईसीजे की सदस्य हैं। जूलिया कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की सदस्य भी रह चुकी हैं।
जज किरिल गेवोर्जिअन-
रूस फेडरेशन की जज किरिल आईसीजे के साल 2015 से सदस्य हैं।
तस्सदुक हुसैन जिलानी-
पाकिस्तान ने जज तस्सदुक को जाधव केस में एक एड-हॉक जज के तौर पर नियुक्त किया है। दरअसल नियमों के अनुसार ऐसा एक देश तभी करता है, जब उसका कोई भी जज सुनवाई कर रही पीठ में नहीं होता है। जिलानी पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर एक साल काम कर चुके हैं।
जज नवाज सलाम-
लेबनान के जज सलाम अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के सदस्य हैं। साल 2007 से 2017 तक वह संयुक्त राष्ट्र में लेबनान के राजदूत और स्थायी सदस्य रह चुके हैं। उन्हें 6 जनवरी 2018 को आईसीजे के जज के तौर पर चुना गया है।
जज यूजी इवसावा-
जाधव मामले कि सुनवाई कर रही पीठ में सबसे नए जजों में से एक जापान के जज यूजी इवसावा मानवाधिकारों के दुनिया में सबसे बड़े महारथियों में से एक हैं।
आईसीजे काम कैसे करता है-
आईसीजे को संयुक्त राष्ट्र के द्वारा जून 1945 में स्थापित किया गया था और इसने अप्रैल 1946 में काम करना शुरू किया था। यह संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का प्रमुख न्यायिक हिस्सा है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में शांति पैलेस में है। अंतराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से, एकमात्र ऐसा अंग है जोकि न्यूयॉर्क (अमेरिका) में स्थित नहीं है। इसका अधिवेशन छट्टियों को छोड़कर हमेशा चालू रहता है। इस न्यायालय के प्रशासन में होने वाले खर्च को संयुक्त राष्ट्र संघ उठाता है।
ज्ञात हो कि आईसीजे विश्व स्तर के मामलों का निराकरण करता है। विश्व में किसी भी देश के विवादों का निराकरण इसी अदालत के माध्यम से किया जाता है। इस अदालत के जजों का विश्व में बहुत बड़ा महत्व है।

राजनीतिज्ञ विश्लेषक।
(सज्जाद हैदर)

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