बहर- 212 212 212 212
प्यार में कब हुआ है नफ़ा देखिए।
प्यार में कब मिली है दवा देखिए।
प्यार सदियों से’ जाता रहा है छला,
प्यार को छल रहे बेबफ़ा देखिए।
प्यार पाने की’ हसरत सभी में मगर,
प्यार में जिंदगी को लुटा देखिए।
प्यार के नाम पर वासना ही दिखे,
प्यार पावन नदी है बहा देखिए।
चैन मिलता नहीं जिंदगी में अगर,
प्यार को रूह में भी बसा देखिए।
प्यार करना सरल पर निभाना कठिन,
चंद गिनती मिलें बाबफ़ा देखिए।
प्यार प्यारा लगे रूह में जब बसे,
रूह से रूह को मत जुद़ा देखिए।
प्यार की डोर से बांध लो ये जहां,
प्यार से पत्थरों को हिला देखिए।
प्यार होता खुदा बंदगी तुम करो,
जिंदगी में ‘नवल’ फिर मज़ा देखिए।
नवल किशोर शर्मा ‘नवल’
बिलारी मुरादाबाद