नैनीताल उतराखण्ड की कवयित्री गौरी मिश्रा ने किया देश का नाम रोशन

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*देश की सुप्रसिद्ध कवयित्री गौरी मिश्रा की काव्य यात्रा का सफरनामा*
          हमारे देश में नारी को देवी का रूप मानकर पूजा जाता है। लेकिन उसी देवी को घर की चारदीवारी में कैद कर रखा जाता है।  कुछ बेटियां जीवन संघर्ष में सफल होकर आगे बढ़ रही है।देश की बेटियों ने आज देश का मान बढ़ाया है। ओलम्पिक में स्वर्ण पदक लेकर आई है बेटियाँ। शिक्षा साहित्य कला खेल खगोल भूगोल सभी क्षेत्रों में बेटियाँ अव्वल है।
    ऐसी ही उत्तराखण्ड की बेटी है गौरी मिश्रा जिसने संघर्ष कर देश विदेश में अपनी कविताओं की प्रस्तुति से अपने गाँव का नाम रोशन किया है। किन्धा कनकपुर गांव में ओम प्रकाश शर्मा के घर जन्मी मिश्रा ने अल्पायु में ही कविताएं लिखना प्रारम्भ कर दिया था।  इनके पिताजी बी एस एन एल विभाग में सेवारत है तथा इनकी माँ गृहिणी है।इनके जन्म के बाद इनके पिता का स्थानांतरण हल्दानी हो गया था। बचपन मे ये अपनी कविताएं डायरी में लिखती थी। जब कभी कविताएं सुनाने का अवसर मिलता। ये श्रोताओं को मधुर स्वरों में प्रस्तुत करती तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते। जब ये छठी कक्षा में पढ़ती थी महज़ बारह वर्ष की थी तभी से भजन गीत लिखना शुरू किया।धीरे धीरे जब ये नवीं कक्षा में पहुची तो इनकी कविताएं समाचार पत्रों में प्रकाशित होने लगी। इनके लेख कविता की पाठकों ने प्रशंसा की। इनका इससे मनोबल बढ़ा। बच्चों का कोना कॉलम में इनकी रचनाएँ  छपने लगी। कक्षा 11 व 12 की पढ़ाई मन लगाकर की। हल्दानी के एम बी पी जी कॉलेज में बी एस सी प्रथम वर्ष में दाखिला लिया। उस समय परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। सामान्य परिवार में पली बढ़ी मिश्रा ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प कर लिया।
   पढ़ाई के साथ ही इन्हें जब कुमायूंनी व गढ़वाली एल्बम में काम करने का मौका मिला।  इन्होंने अपनी मेहनत व काबिलियत से बी एस सी की पढ़ाई पूर्ण की। परिवार के प्रति जिम्मेदारी निर्वहन करने के लिए इन्होंने नोकरी की तलाश की। ऑल इंडिया रेडियो रामपुर आकाशवाणी का विज्ञापन देख फॉर्म भरा।रचनाएँ आकाशवाणी को प्रेषित की जो चयनित हुई। ये पल ऐसे थे जिन्होंने गौरी के जीवन को नया मोड़ दिया।
    आकाशवाणी में भजन गायिका के रूप में रिकॉर्डिंग शुरू की जिसका आकाशवाणी से प्रसारण हुआ। एक दिन में चार पांच भजन रिकॉर्ड करने लगी।
उनका प्रसिद्ध भजन है “मुझे काम है ईश्वर से,जगत रूठे तो रूठने दे”। समाचार पत्रों से गौरी को भजन गायिका के रूप में जाना जाने लगा।
   वर्ष 2014 में नैनीताल हल्दानी के कवियों ने इन्हें काव्यगोष्ठी में बुलाया। ये जहाँ भी काव्य पाठ के लिए जाती उन कार्यक्रमों को सोशल मीडिया पर साझा करती जिन्हें लोग पसंद करते।हल्दानी व नेनिताक की साहित्य लहरी व साहित्य सृजन जैसी साहित्यिक संस्थाओं के साथ ही अनेक सामाजिक संस्थाओं ने इन्हें काव्यपाठ हेतु बुलाया।
    गोरी कहती है आज बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रहने को कहा जाता है। ये सही नहीं है। सोशल मीडिया का उपयोग सकारात्मक सोच को लेकर किया जाए तो सफलता प्राप्त की जा सकती है। गोरी कहती है कि सोशल मीडिया का उनकी सफलता के पीछे बहुत बड़ा रोल है। सोशल मीडिया के जरिये ही मैं इस मुकाम पर पहुँची हूँ  इससे बौद्धिक विकास होता है। युवाओं को सोशल मीडिया के जरिये अच्छे रोजगार मिल सकते हैं।जिससे देश मे व्याप्त बेरोजगारी की समस्या दूर हो सकती है
    वह बताती है कि मुझे वर्ष 2015 में सोशल मीडिया के जरिये ही कवि सम्मेलन के बड़े मंच का ऑफर मिला। मुझे काशीपुर के गीतकार ग़ज़लकार डॉ. मनोज आर्य ने मंच दिया।उसके बाद काव्यपाठ का सिलसिला बरकरार है।
   गौरी ने बताया कि वह अभी तक देश के ख्यातिनाम बड़े दिग्गज कवियों के साथ काव्य पाठ कर चुकी है उनमें है सुरेश शर्मा सुनील जोगी( पदम श्री)डॉ. हरिओम पँवार राहत इंदौरी डॉ. कुमार विश्वास शैलेश लोढ़ा सुनील पाल अहसान कुरेशी आदि प्रमुख हैं।
   गौरी मिश्रा की कविताएँ देशभक्ति से ओतप्रोत रहती है। आध्यात्मिक रचनाएँ होती है। श्रृंगार के गीतों से अपनी भाषा शैली व शब्द चयन व शानदार प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती है। श्रृंगार पढ़ने के साथ ही मिश्रा वीर रस में जब देशभक्ति की कविता प्रस्तुत करती है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
   इनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए प्रिन्ट मीडिया के विभिन्न समाचार पत्रों के द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों के संचालन हेतु इन्हें आमंत्रित किया जाने लगा जिसे देश के विभिन्न मंचों ने स्वीकार किया।
   गौरी को अपनी साहित्यिक रचनाओं व कवि सम्मेलनों के मंच पर काव्य की सुन्दर प्रस्तुति हेतु वर्ष 2014 में राष्ट्रीय नारी शक्ति सम्मान ,डायमंड ऑफ इंडिया सम्मान (प्रतिभा रक्षा समिति हरियाणा),आर्च ऑफ एक्सीलेंस अवार्ड,रत्न ए हिदुस्तान सम्मान से नवाजा गया।
  वर्ष 2015 में शान ए हिदुस्तान सम्मान से सम्मानित किया गया।
  वर्ष 2016 में इन्हें शाइनिंग डायमंड अवार्ड,एंटी करप्शन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त हुआ।
   इन्हें 11 नवम्बर 2018 को युथ आइकॉन अवार्ड 2018 देहरादून में कैबिनेट मंत्री उतराखण्ड सरकार प्रकाश पंत व सुबोध उनियाल के कर कमलों से प्राप्त हुआ।
  गौरी मिश्रा कारगिल में कविता पाठ करने वाली सबसे कम उम्र की युवा कवयित्री है। आज की युवा पीढ़ी के लिये एक मिसाल है। ज़ी न्यूज़ चैनल द्वारा आयोजित कारगिल दिवस पर काव्य पाठ करना इनके जीवन के गौरवांवित क्षण है।
      गौरी ने बताया वर्ष 2019 मेरे लिए बहुत खास है और हमेशा के लिए यादगार शुरुआत रही क्योंकि इसी साल में मेरे द्वारा पढा गया परशुराम गीत और मेरे द्वारा लिखी गयी परशुराम वन्दना “जय परशुराम,जय परशुराम” काफी प्रसिद्ध हुई जिस कारण मुझे तीन बार मध्यप्रदेश इंदौर के दो बड़े ब्राह्मण समाज और कासगंज के ब्राह्मण समाज ने ब्राह्मण रत्न सम्मान,चांदी के मुकुट से नवाजा जो मेरे लिये अब तक के हर सम्मान से बढ़ कर रहा है। धन्य हूँ कि मैं इसी भारत की बेटी हूँ।
         गौरी मिश्रा ने अपने गीत,ग़ज़ल और कविताओं से देश भर में राष्ट्र जागरण का काम कर देश वासियों के दिलों में जगह बनाई है। त्याग,समर्पण,संघर्ष कर मिश्रा ने देश के बड़े मंचों से देश की लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व किया है।
           हाल ही में 29जून 2019 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देश के ख्यातिनाम कवि अरुण जैमिनी,डॉ. प्रवीण शुक्ला,राजेश चेतन,संदीप शज़र,कवयित्री सरिता सिंघई कोहिनूर के साथ मंच साझा किया।
        वर्ष 2019 में इनका नया गीत जागो विप्रो जागो,जय परशुराम जय परशुराम,काफी लोकप्रिय हुआ है।
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।

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