तड़फ रही हूं मै और तड़फाते क्यो हो ?
भटक रही हूं मै और भटकाते क्यो हो ?
सताई हूं जमाने ने पहले ही मुझको,
मुझे तुम और सताते क्यो हो ?
आंखो में बचा नहीं कोई आसूं मेरे,
मुझे तुम और रुलाते क्यो हो ?
जिंदगी की भाग दौड़ से थक चुकी हूं मै,
मुझे तुम और दौड़ाते क्यो हो ?
बहकाया है तमाम जिंदगी तुमने मुझको,
बताओ आखरी पड़ाव पर बहकाते क्यो हो ?
बसाया नहीं कभी दिल में मुझे तुमने,
बताओ मेरे जनाजे पर फूल बरसाते क्यो हो ?
सुलाया नहीं कभी तुमने मुझे बाहों में लेकर,
आखरी वक़्त में अपनी बाहों में सुलाते क्यो हो ?
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम