तेरी आंखों में प्यार की कहानी नज़र आती है ।
रहबर मेरी ज़िंदगी तेरे पहलू में चैन पाती है ।।
सरगम सी बजती है कानों में मेरे ।।।
पनघट पर जब तू अपनी पायल खनकाती है ।।।।
तेरा ग़म तो मेरी ज़िंदगी का हिस्सा है ।
मेरे हिस्से से भी क्यों ये मिल्कियत चुराती है ।।
बेकरारियों की इंतहा हुई अब तो ।।।
रहबर मेरी ज़िंदगी तेरे पहलू में चैन पाती है ।।।।
कैसे गुज़रते है दिन मेरे,शामें बेख़बर हैं ।
तेरे आने की ख़बर ही मुझे मस्ताना बनाती है ।।
धड़कनें दिल में हर दम ग़दर मचाती हैं ।।।
रहबर मेरी ज़िंदगी तेरे पहलू में चैन पाती है ।।।।
ये बारिशें, ये बिजलियां, ये बादलों का शोर ।
याद ए मेहबूब को सीने में जगाती हैं ।।
कर्ज़दार है सांसें उसके इश्क़ की “क़ाज़ी “।।।
उन रिश्तों में जीकर उसका क़र्ज़ चुकाती है ।।।।
ये कहानी हमारी आशिकों को दीवाना बनाती है ।
रहबर मेरी ज़िंदगी तेरे पहलू में चैन पाती है ।।
#डॉ.वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत डॉ. वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,साथ ही आपकी हिंदी काव्य एवं कहानी की वर्त्तमान सिनेमा में प्रासंगिकता विषय में शोध कार्य (पी.एच.डी.) पूर्ण किया है | और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए कियाहुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।