परिचय : डी.एम. गुप्ता ‘प्रीत’ मुम्बई में कलम्बोली में रहते हैं। २८ साल के प्रीत का पेशा-नौकरी(निजी) है। मुख्य रुप से श्रंगार विधा आपकी पसंद है। रस- वियोग(मुख्यतः) के साथ गीत,मुक्तक, नज्म इत्यादि रचते हैं। आपको मंच से कविता पढ़ने का अधिक शौक है।
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रेशम से बाल और गाल गोरे-गोरे लगे,
कल्पना में मेरी रति-सी लगती हो तुम।
कमर को देखूं तो लगो तुम सरिता-सी,
आँख देख मृगनयनी-सी लगती तो तुम।
हाथ-पैर तेरे कल्पवृक्ष की शाखा से लगे,
बदन को देखूं तो गुलाब लगती हो तुम।
अंग-अंग देख के मदहोश होय मेरा मन,
चाहत से मेरी आफ़ताब लगती हो तुम॥
#डी.एम. गुप्ता ‘प्रीत’
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लेखिका डॉ.चौहान सम्मानित