नजरे मिली

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जब से मिली है
नजरे तुम से।
दिल में कुछ कुछ
होने लगा है।
था जो पहले
कठोर और नीरस।
अब वो मचलने
और पिघलने लगा है।।

ये क्या मेरे साथ
अब हो रहा है।
इसकी मुझे कुछ
भी नहीं खबर।
दिल जो मेरा नीरस था
अब रसो से भरने लगा।।

प्रीत प्यार स्नेह के बूलबूले,
अब दिल में उमड़ रहे।
जो था खाली खाली सा,
इन प्यारे शब्दों के लिए।
अब उनके लिए मचल रहा।
खिल उठता है दिल मेरा
जब नजरे उनसे मिलती है।।

तेरे प्यार की छाया में रहना है,
तेरे दिल में खोना है।
बस एक दरकार,
है तुम से मेरी।
जब भी दिल मिलना चाहें,
इसे दिलसे मिलने देना।
यही अरमान है दिल में,
अब मना तुम मत करना ।।

जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन (मुंबई)

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