युवा देश की सबसे बड़ी पूंजी

0 0
Read Time6 Minute, 36 Second

ओलंपिक 2020 टोक्यो में 141 वर्षों के सूखे के बाद एक घनघोर वर्षा हुई भारत ने अपना पहला स्वर्ण जैवलिन थ्रो अर्थात भाला फेंक में जीता यह स्वर्ण पदक एथलीट में 1920 के बाद जीता गया पहला स्वर्ण पदक था 7 अगस्त 2021 की तारीख इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में नीरज चोपड़ा स्वर्ण पदक विजेता के द्वारा लिखी गई भारत के इतिहास की अगर बात करें तो भाला फेंकने में हमारे वीर योद्धाओं का कोई मुकाबला नहीं था नीरज ने कई वर्षों के अथक परिश्रम से भारत को ओलंपिक में इस वर्ष पहला स्वर्ण दिला कर यह सिद्ध भी किया कि आज का युवा भी महाराणा प्रताप के पथ पर चलने वाला है, आने वाली यूवा पीढ़ी नीरज के इस पुरुषार्थ से प्रेरित होकर देश का नाम रोशन करेगी।
भाला फेंक एक अद्भुत युद्ध कौशल रहा जो महाराणा प्रताप वह भारत के कई योद्धाओं की कीर्ति वह शक्ति बना एक समय अपने पिता महाराणा उदय सिंह को एक षड्यंत्र से बचाने के लिए ठीक इसी प्रकार महाराणा प्रताप ने भी अपने किले की प्राचीर से भाला फेंक कर शत्रु पर छल को समाप्त किया था यह ऐतिहासिक तथ्य हमें महाराणा प्रताप से संबंधित प्रसंगों में जानने को मिलेगा परंतु आज स्वर्ण पदक पर लगे भाले पर विश्व ही नहीं भारत के भी कुछ देश विरोधी तत्व इतने व्याकुल क्यों हैं जैसे ही नीरज चोपड़ा ने अपने अंतिम ट्रायल में भला फेंका और यह निश्चित हो गया कि भारत का यह वीर युवा स्वर्ण पदक का विजेता होगा पाकिस्तान में विरोध के स्वर उठने लगे क्योंकि पाकिस्तानी एथलीट अरशद हमीद भी इस भाला फेंक प्रतियोगिता में प्रतिभागी थे, परंतु उन्हें पांचवें स्थान से ही संतुष्ट होना पड़ा इसका विरोध वहां कुछ स्थानीय पाकिस्तानी जनता द्वारा ट्विटर पर किया गया। पाकिस्तान के कई युवाओं ने पीएम इमरान खान मरियम शरीफ और अन्य भी कई नेता जिन्होंने अरशद हमीद को शुभकामनाएं भेजी उनके सन्देश पर जमकर प्रश्न किए। पाकिस्तानी जनता का यह प्रश्न था कि जब भारत का युवा भाला फेंक में स्वर्ण ला सकता है तो पाकिस्तान का अरशद क्यों नहीं ? पाकिस्तान सरकार ने खेलों के संबंध में क्या विकास किया ? पाकिस्तानी खिलाड़ियों को कितना सहयोग पाकिस्तानी सरकार का मिलता है ? इस तरह के कई प्रश्न पाकिस्तानी अपने आकाओं से पूछ रहे है। समझने वाली बात है जितना पैसा पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों में और भारत के विरुद्ध हथियार बनाने खरीदने में लगता है यदि वही पैसा वहां विकास में लगा होता तो आज पाकिस्तान बदहाली और भीख मांगने की स्थिति में नही होता । आज वर्ड बैंक से किए कर्ज की किश्त भरने के लिए भी उसे चीन के आगे हाथ फैलाना पड़ते है।

खेर प्रतिस्पर्धाओं में यह उचित नही, खेल में प्रतियोगी जिस भी स्थान पर रह हो उसे प्रोत्साहन ही मिलना चाहिए।

परन्तु भारत में भी स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चौहान के लिए कुछ असामाजिक तत्व नकरात्मक वातावरण बनाने में लगे है, ये वही वामपंथी सेकुलर ब्रिगेड के लोग है जो हर समय देश के किसी भी ऐतिहासिक विजय पर नकारात्मक टिप्पणी करते रहते है। इसका कारण सिर्फ इतना रहा कि 2019 में पूर्ण बहुमत से विजय होने पर नीरज चोपड़ा ने नरेंद्र मोदी जी को शुभकामनाएं दी थी। जिसके कारण इस युवा व ऊर्जावान खिलाड़ी को वामपंथी एजेंट निशाने पर ले रहे है। इससे उस स्वर्ण की कीर्ति ओर कोई असर नही पड़ता। क्योंकि देश के लिए किया जाने वाला हर श्रम ऐसे नकारात्मक षडयंत्रो से बहुत बड़ा होता है। उसकी ऊर्जा और प्रकाश के आगे यह नकारात्मक अंधकार कहीं टिकाई नही देता। नीरज चोपड़ा वर्तमान में सेना की राजपुताना रायफल में सूबेदार के पद पर कार्यरत है, सन 2020 में इन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया था। सेना के इस वीर जवान ने इतिहास में अपना और देश का नाम अमर कर दिया, देश के करोड़ों देशभक्तों की शुभकामनाएं नीरज चोपड़ा जैसे उन सभी युवा और युवतियों के साथ ही जो देश का नाम रोशन करने अपने जीवन समर्पण कर रहे है। आज निश्चित रूप से युवाओं व युवतियों को अवसर देने की दिशा में कार्य किए जा रहे है फिर भी जनसंख्या अधिक होने के कारण हम हमारे प्रतिभागियों को संसाधन उपलब्ध करवाने में बहुत पीछे है, हमें देश को समृद्ध बनाने के साथ साथ इन खेल गतिविधियों में प्रोत्साहन के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे। देश को मेडल दिलाने वाले, देश वह पूंजी है जिसे हर समय में बढ़ते रहना चाहिए।

मंगलेश सोनी
मनावर ( मध्यप्रदेश
)

matruadmin

Next Post

‘मुट्ठी में आसमान’ अर्चना पांडेय की पुस्तक समीक्षा

Mon Aug 9 , 2021
सकारात्मक सोच से उद्बुद्ध , पूरे विश्व में खुशहाली प्रसारित करते विचारों से पूरित, सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करती, कवयित्री- डॉ. अर्चना ‘अर्चि’ की कविताओं की बगिया, जिसकी हर कविता रूपी कली अपने सौंदर्य और सुगन्ध से पूरे विश्व को आल्हादित करते हुए, प्रस्फुटित होने के लिए तत्पर है। ‘मुट्ठी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।