पूज्य पिता जी की बाहों में,
जीने का किरदार छिपा हैll
ममतामई माँ के *रिश्ते* में,
अमर प्रेम संसार छिपा हैll
बहिना के राखी धागों में,
पूजा पुण्य प्रणाम छिपा हैll
नमन वंदना करके देखो,
सच में चारों धाम छिपा हैll
पिता-पुत्र के *रिश्ते* में,
साहस त्याग निदान छिपा हैll
माता पुत्री के *रिश्ते* में,
प्रबल प्रेम प्रधान छिपा हैll
पति-पत्नी के भी *रिश्ते* में,
दोनों दिल की चाह छिपी हैll
दादा-दादी के *रिश्ते* में,
दर्द दुआ परवाह छिपी हैll
भाई-भाई में,बहिन-बहिन में,
जीवनभर का प्यार छिपा हैll
नाना-नानी में, मौसा-मौसी,
अति उत्तम उद्गार छिपा है॥
*रिश्ते* सभी सलामत रखना,
*रिश्तों* में परिवार छिपा हैll
*रिश्ते* में आदर अभिनंदन,
मंगल मंगलचार छिपा हैll
कहीं टूट न जाये *रिश्ते* ,
जीवन का आधार छिपा हैll
गंगा-जमुना, मथुरा-काशी,
पावन हरि का द्वार छिपा हैll
*कवि कृष्ण कुमार सैनी”राज”
दौसा,राजस्थान