गोरी थारो रूप निहारे 

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rajesh Bhandari
चमचमातो चुड़ीलो
माथा पे बोर बन्द,
कमर पे सरकतो कंदोरो
लहरातो बाजूबंद,
छम छम करता झंजरिया
मुकस्काए मकरंद ,
गोरी थारो रूप निहारे
साजन मंद मंद …………
खनखनाता कंगना
कसमसातो टड्डों,
नाक में नथनी लहरावे
गाल पे पड़ी जावे गड्डों
छमछमाती बिछिया ,
इनका चाले संग संग
गोरी थारो रूप निहारे
साजन मंद मंद …………
सर सर करती सरमुर्की
कान में करण फूल
हाथ में हिरा की अंगूठी
बाल में सजाया फुल
रम्मक झम्मक घर आँगणों
जैसे सरगम को आनंद
गोरी थारो रूप निहारे
साजन मंद मंद …..

#राजेश भंडारी “बाबू”

इंदौर(मध्यप्रदेश)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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