मोहब्बत कैसे शुरू होती है

0 0
Read Time2 Minute, 40 Second

sanjay

मोहब्बत कैसे हो गई,
हमें पता ही नही चला।
आंखों का आंखों से मिलना, ही इसका कारण है।
क्योंकि दिलों की बात दिलवाले ही जानते है।
प्यार को प्यार करने वाले ही पहचानते है।
इसलिए आंखों ही आंखों में मोहब्बत हो जाती है।

दो जवां दिलो की धड़कनों को दूर से समझते है।
इसलिए तो आंखों का आंखों से रोज मिलना होता है।
और इसक दूसरे को देख देखकर मुस्काना होता है।
यही से तो दो दिलो में मोहब्बत का उदय होता है ।
साथ ही दोनों के दिलो में कुछ कुछ होने लगता है।

रोज रोज सिलसिला मोहब्बत का यूहीं चलता है।
मन बैचेन और दिल बात करने को व्याकुल होता है।
कैसे भी करके दोनों एक दूसरे के बाज़ू से निकलते है।
और हिम्मत करके दोनों धीरे से कुछ कहते है।
और बातो और मिलने का सिलसिला शुरू होता है।।

हर उम्र के लोगों पर मोहब्बत का रंग चढ़ाता है।
कुछ लोग मोहब्बत करके निखार जाते है।
जैसे उड़ चुनरिया श्याम की मीरा प्यार में रंग गई।
और वो हरि हरि गुन गुनाने के मीरा दीवानी हो गई ।
और सारे जग में प्यार मोहब्बत को अमर कर गई।।

#संजय जैन 

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

पर्यावरण चेतना

Fri Jun 21 , 2019
पृथ्वी को चारो तरफ से घेरे हुए हैं जो सुंदर आवरण। उसे ही कहते हैं हम पर्यावरण।। ************************* प्रकृति में सीमित है सब संसाधन। इसलिए सोच -समझकर करो इसका दोहन।। ************************* मानव प्रकृति से करके छेड़छाड़। अपना ही कर रहा है बिगाड़।। ************************ जब से शुरू किये हैं वनो की […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।