नई दिल्ली।
आजादी के 72 वर्ष बाद भी भारत में अभी तक दलित समाज पर अत्याचार की दुर्भाग्य जनक घटनाएं होती हैं. विश्व हिन्दू परिषद् के संयुक्त महासचिव डॉ सुरेन्द्र जैन का कहना है कि इन घटनाओं के विरोध में आवाज उठनी ही चाहिए व पीड़ित व्यक्ति को न्याय मिलना ही चाहिए. परंतु दुर्भाग्य से पिछले कुछ दिनों से दलित- मुस्लिम एकता के नाम पर कुछ मुस्लिम व कथित दलित संगठनों ने देश का वातावरण विषाक्त बनाने का षड्यंत्र रचा. दलित समाज शेष हिंदू समाज की तरह से हमेशा से ही जिहादियों के निशाने पर रहा है परंतु ये कुछ संगठन जिहादियों के द्वारा दलितों पर किए जा रहे हैं बर्बर अत्याचारों पर मौन रहते हैं. दलित हितों के नाम पर राजनीति करने वाले इन संगठनों व “आर्मी” के इस अपराधिक मौन के कारण जिहादियों की हिम्मत बढ़ रही है और दलितों पर उनके द्वारा अत्याचार बढ़ रहे हैं.
ज्ञात होगा कि गत 10 जून को रात्रि 1:00 बजे बिहार के बेगूसराय जिले के नूरपुर में तीन मुस्लिम गुंडे एक दलित के घर में घुसे, पिस्तौल के दम पर एक दलित महिला के साथ दुष्कर्म किया और उसकी बेटी के साथ दुष्कर्म का असफल प्रयास किया. इस परिवार द्वारा इन जिहादियों में से एक अपराधी लड्डू आलम पुत्र फिरोज आलम का नाम बताने पर भी वे अपराधी अभी भी पीड़ितों को धमकाते घूम रहे हैं. वहां का थाना अधिकारी, सुमित कुमार, उल्टे पीड़ित दलितों को धमका रहा है तथा इस बर्बर कांड को सोशल मीडिया के माध्यम से समाज के सामने लाने वालों को कार्यवाही की धमकी दे रहा है. इस परिवार को अपनी जमीन बेचकर गांव खाली करने की धमकी इन जिहादियों के द्वारा मिलती रही है. इस दलित परिवार द्वारा लगभग 1 माह पहले इन जिहादियों के विरूद्ध शिकायत करने पर भी पुलिस तथा प्रशासनिक संरक्षण के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गई. इसके परिणाम स्वरूप सामूहिक दुष्कर्म का यह कांड घटित हुआ है.
डॉ जैन ने कहा कि विडंबना है कि किसी भी दलित संगठन तथा सेकुलर माफिया से जुड़े पत्रकार और राजनीतिज्ञ, जो रोहित वेमुला पर आसमान सर पर उठा लेते थे, इस घटना पर एक शब्द भी नहीं बोलते. क्या सिर्फ इसलिए कि यहां दुष्कर्म करने वाले मुस्लिम हैं? दलित पिछड़ों के मसीहा कहलाने वाले मुख्यमंत्री क्या इस घटना पर केवल इसलिए मौन है कि कहीं उनका मुस्लिम वोट बैंक नाराज ना हो जाए? विश्व हिंदू परिषद बिहार सरकार से आग्रह करती है कि दोषी पुलिस अधिकारियों सहित सभी अपराधियों को अविलंब गिरफ्तार करें व उन्हें कठोरतम सजा दिलाएं. उन्हें स्मरण रखना चाहिए कि मुस्लिम वोट बैंक की चिंता में दलितों के हितों की उपेक्षा करने वालों का क्या हश्र हुआ है?
विहिप महासचिव ने आज एक बयान में यह भी कहा कि भारत का दलित समाज हमेशा से ही जिहादियों द्वारा प्रताड़ित होता रहा है. मस्जिद के सामने से दलितों की बारात निकले या शव यात्रा, उन पर हमेशा से ही हमले होते रहे हैं. गौ रक्षा करने वाले दलित नेताओं की हत्या ये हमेशा करते रहे हैं. उनके धार्मिक व सामाजिक उत्सवों पर प्राणघातक हमले करने के उदाहरण सामने आते रहते हैं. लिंचिंग या दलित उत्पीड़न का शोर मचाने वाले निहित स्वार्थी तत्व इन शब्दों का अर्थ तभी समझ सकते हैं जब वे जिहादियों के द्वारा दलित उत्पीड़न की घटनाओं को उजागर करने का प्रयास करेंगे. केवल प्रकाश में आए कतिपय अत्याचारों की एक सूची संलग्न की गई है.
विहिप बिहार सरकार से पुनः आग्रह करती है कि वह नूरपुर बेगूसराय की घटना का संज्ञान लेकर अपराधियों पर तुरंत सख्त कार्यवाही करे जिससे वहां के दलित समाज का सरकार में विश्वास बना रहे. अब दलित समाज उनके वोटों की ठेकेदारी करने वालों की असलियत समझ चुका है. वह न्याय प्राप्त करने के लिए वैकल्पिक नेतृत्व को खड़ा करने के बारे में निर्णय ले सकता है. यह नेतृत्व वह होगा जो उनके ऊपर हो रहे सब प्रकार के अत्याचारों को समाप्त कर सके न कि उन पर राजनीति करें.
जारी कर्ता:
विनोद बंसल (प्रवक्ता-विहिप)