बहर~2122 2122 2122 212
काफ़िया-आना
रदीफ़-चाहिये
बैठकर यूं ही नहीं आँसू बहाना चाहिये
भूलकर हर दर्द यारो मुस्कराना चाहिये
खंजरों से तेज होती है किसी की बददुआ
जानकर तो दिल किसी का ना दुखाना चाहिये
रूठ जाने का अगर ये शौक उनके सर चढ़ा
ठीक ही है प्यार का मुझको बहाना चाहिये
जो करे कोई प्रतीक्षा राह में पलकें बिछा
शाम से पहले ही’ घर को लौट आना चाहिये
सांस थमने पर सभी कुछ खाक है नाबूद है
प्यार का नगमा हमेशा गुनगुनाना चाहिये
भर गए सब जख़्म तो जीना हुआ है बेसबब
जख़्म फिर कोई मुझे अपना पुराना चाहिये
“सोम”ऐसी क्या है आखिर बेरुखी मुझसे भला
प्यार से कोई मनाये मान जाना चाहिए
नाम- शैलेन्द्र खरे”सोम”
पिता का नाम-श्री रामदयाल खरे
माता का नाम-श्री मती सुमनलता खरे
जन्मतिथि -14-5-1978
पता- वीरेंद्र कॉलोनी,नौगाँव
जिला- छतरपुर(म.प्र.)