बहुत दिनों के बाद आज फिर,
लिखने का मन करता है।
जीत हार की बाते करतें,
अब भी मन डर छलता है।
जीत नहीं यह मोदी की है,
न हीं कमल निसान की।
देश विदेशी गत घावों को,
मत का मल्हम भरता है।
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जीत किसी की नहीं जीत यह,
भारत के मतदाता की।
लोकतंत्र के रक्षक जन की,
भारत भाग्य विधाता की।
बंदरबाँट रिवाजें तोड़ी,
स्वस्थ परंपरा अजमाई।
श्रम सेवा की जीत मान लो,
सैनिक व अन्नदाता की।
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विश्व दौड़ में भारत है अब,
चाहत दृढ़ सरकार थी।
जन गण मन की यही भावना,
करनी अभी साकार थी।
राष्ट्रवाद की पीकर हाला,
उन्नत पथ पर बढ़ना है।
समय चूक पछताना पड़ता,
इसीलिए दरकार थी।
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इसीलिए जनमत जीता है,
अब कुछ नव आगाज करो।
आतंकी ताकत को तोड़ो,
जन जीवन आबाद करो।
बढ़े दीप्ति अपने भारत की,
धूप-छाँव सब सह लेंगे।
दल दलदल से ऊपर उठकर,
मिलकर नई उड़ान भरो।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः