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किसी ने खत भेजा है
किसी ने अरमान भेजा है,
ये कैलेण्डर का एक पन्ना क्या बदला
सारा जहान भेजा है।
कोई जो रोज मिलता है
सुबहो-शाम उसने भी,
और जो बरसों से
सूरत नहीं दिखाता
उसने भी,
जो चार दिन पहले
पड़ोस में रहने आया,
दिमाग पर बहुत जोर डाला
फिर भी कुछ को पहचान नहीं पाया,
जाने किस-किस ने
जाने कहाँ-कहाँ से,
मुझे प्रणाम भेजा है।
रात-रात तक टन-टन
बजती रही घंटियाँ,
और ये देखो सुबह से
फिर गुलो-चमन का सामान भेजा है।
वही दिन है,कुछ नया नहीं है,
खतो किताबत के वही किस्से हैं
माँ-बाप एक
और कई हिस्से हैं,
कोई रुठा है,कोई झूठा है,
तुम्हारी भी नज़र से
भला कब क्या छूटा है ?
सुबह की अज़ान से ही
नींद आज भी खुली,
अख़बार की रद्दी भी
ख़ौटे बाट से आधी ही तुली।
आज भी बाज़ार गया था सौदा लाने,
मां की दवाईयां,पिताजी की खाँसी,
बच्चों की फीस,मालिक मकान का
तकाज़ा किराए का,
ऊपर से ये बिजली और नल के बिल,
दूध वाले का हिसाब और
पड़ोसी ने सलाम भेजा है।
कहाँ आया नया वर्ष और,
कौन-सा वाला कहीं चला गया ?
कई बार पहले भी और
बार-बार मैं ही छला गया,
‘मन की बात’ लगती पराई-सी है,
‘अवनीश’ देख के आ,
सरकार ने फिर कोई
नया फ़रमान भेजा है॥
#अवनीश जैन
परिचय:लेखन,भाषण,कला और साहित्य की लगभग हर कला में पारंगत अवनीश जैन बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। ४७ बरस के श्री जैन ने महज ९ वर्ष की उम्र में पत्रकारिता से जिंदगी की शुरुआत की और विभिन्न व्यवसायों में यात्रा करते हुए कई वर्षों से शिक्षा और प्रशिक्षण में व्यस्त हैं। इंदौर निवासी श्री जैन कई औद्योगिक और रहवासी संस्थानों के वास्तु सलाहकार भी हैं। अब तक कई कविताएं-कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। लिखना आपकी पंसद का कार्य है,साथ ही शिक्षा के छोटे-बड़े कई संस्थानों में प्रेरणादायक प्रशिक्षक के तौर पर अनेक कार्यक्रम कर चुके हैंl
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