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जब कभी मेरी मांँ का आंँचल मेरे सर पर आए ,
दुनिया की मजाल क्या ईश्वर भी न कुछ कर पाए,
मांँ के चरणों में स्वर्ग संग चार धाम बसे हैं-
छू माँ के चरणों को मिट्टी पावन चंदन बन जाए।
नाम-प्रज्ञा पाण्डेयसाहित्यिक उपनाम-प्रज्ञा पाण्डेयवर्तमान पता-उन्नाव, उत्तर प्रदेशराज्य-उत्तर प्रदेशशहर-उन्नावशिक्षा-डबल एम ए (अंग्रेजी साहित्य व इतिहास)कार्यक्षेत्र-ग्रहणीविधा -कविता, मुक्तक, ग़ज़ल
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