माँगा सुख था मिला दुख मुझे,
जग में ऐसी बदहाली है |
जिन्दगी भर कमाया मगर,
हाथ दोनों ही खाली है ||
तुझको दुख है, दुखी मै भी हूँ;
दोनों आँखों में आँसू भरें |
दामन फैलाये दर पर खड़े;
सारे धन के सवाली हैं ||..
मेरा मन आशाओं की चीता;
रोज जल करके होते भस्म |
बाग उजड़ा सदा ही रहा,
मेरा जीवन वो माली है ||…
रंग-ढ़ंग लाखों मैने सहे ;
जिसके खातिर यहाँ उम्र भर |
जो उधारी में मुझको मिली,
जिन्दगी जाने वाली है |
#अशोक महिश्वरेगुलवा बालाघाट म प्र
#परिचयनाम -अशोक कुमार महिश्वरे
पिता स्वर्गीय श्री रामा जी महिश्वरे
माता स्वर्गीय शकुंतला देवी महिश्वरे
जन्म स्थान -ग्राम गुलवा पोस्ट बोरगांव, तहसील किरनापुर जिला बालाघाट मध्य प्रदेश
शिक्षा स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य एवं अंग्रेजी साहित्य ,बीटीआई व्यवसाय :मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर वर्तमान में शासकीय प्राथमिक शाला टेमनी तहसील लांजी जिला बालाघाट मध्य प्रदेश में पदस्थ हूँ
लेखन विधा गद्य एवं पद्य
प्रकाशित पुस्तकें: प्रकाश काधीन १/साझा काव्य संग्रह २/नारी काव्यसंग्रह
प्रकाशक साहित्य प्रकाशन झुंझुनू राजस्थान