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धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है
धरना धरने की खातिर है, धरना, धरना धरना है।
चाहे भवन विधान घेराव करें, या भरी दुपहरी बदन जरे
मंत्री और मुखिया मौज करें, बस भाषण देकर पेट भरे।
बेरोजगार की एक चाह, रोजगार कोई अब करना है
धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है।
उस वर्दी को क्यों सलाम करें, ले लाठी कत्लेआम करें
रिश्वत ले सबका काम करें, और सीधे को बदनाम करें।
अब तानाशाही बहुत हुई, इनसे भी तो अब भिड़ना है
धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है।
काम एक पर दाम अलग, काम वही पर दाम अलग
घोड़े हैं वही लगाम अलग, हैं उनके चारो धाम अलग।
इस बंटवारे की राजनीति को ,दूर हमे ही करना है
धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है।
कोई लेता चालिस हजार, कोई घूमे बेरोजगार
अब कहां गया वो संविधान , देता समानता का जो सार।
संविधान में समानता का शब्द सार्थक करना है
धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है।
वेतन छूता है आसमान, हैरान परेशां है किसान
सत्ता के लोभी दे तू ध्यान, पानी के भाव में बिके धान।
अब वो किसान भी कहता है, कि मरना नहीं अब लड़ना है
धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है।
तेरी राजनीति की कमर तोड़, बहती नदिया की धार मोड़
अब स्वार्थ सिद्धि की नस मरोड़, और सबको अपने साथ जोड़।
हे लाल भारती के जागो, अब पार तुम्हे ही करना है
धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है।
धरना धरने की खातिर है, धरना, धरना धरना है।
#अजय एहसास
परिचय : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सुलेमपुर परसावां (जिला आम्बेडकर नगर) में अजय एहसास रहते हैं। आपका कार्यस्थल आम्बेडकर नगर ही है। निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ हिन्दी भाषा के विकास एवं हिन्दी साहित्य के प्रति आप समर्पित हैं।
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