मेरा संकल्प

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dhanraj vaani
मैं कितना हरा-भरा था
छाया में तुम मेरी रहते थे
पाकर मेरी शीतलता
ठंडी-ठंडी आहे भरते थे
……………… …..
चांदी जैसी चमकीली बूंदे
मेरे तन पर रहती थी
कल- कल  नदी की धारा
मेरे चरणों में बहती थी
……………….
कितने सुखद पल थे वाे
जब पक्षी वहा मंडराते थे
थके हुऐ राहगीर भी
जब मेरी छाया में आते थे
………………….
भीन-भीन करती मधुमक्खियाँ
 फुलाे का रस पीती थी
चिड़िया भी बनाकर नीड़
 मेरे आश्रय मे जीती थी
… .. …………. ..
छिन लिये वह सारे पल
अब जंगल भी सुनसान हुऐ
बहती हुई नदी की धारा
अब रेगीस्तानी  मैदान हुऐ
…… …………..
उड़ गये वह सारे पक्षी
जाे मेरी बस्ती मे रहते थे
पाेछ रहे है राहगीर पसीना
जाे मुझे हमसफर कहते थे
.. .. …………. .
बदल गया है जीवन सबका
जंगल वह राेज काट रहे है
मेरी टहनीयों काे
मिलकर आपस मे  बाट रहे है
 ………………..
कर लाे कितनी भी मनमानी
मैं कभी नही बदलूंगा
जाे भी लगायेगा आंगन में
 मुझकाे
मै सारी खुशियां  उसे दूँगा
#धनराज वाणी
परिचय– 
श्री धनराज वाणी  ‘उच्च श्रेणी शिक्षक’ हाई स्कूल उबलड विकास खण्ड जोबट जिला अलिराजपुर में 30 वर्षो का सेवाकाल (मूल निवास जोबट)
जन्म स्थान जोबट(मध्यप्रदेश)
पत्नि का नाम -कविता वाणी (प्राचार्य )इनकी भी साहित्य में रुचि व महिला शसक्तीकरण के क्षेत्र में कार्य व आकाशवाणी मे काव्य पाठ किया
2.शिक्षा-एम.ए.बी.एड.(समाजशास्त्र)
3.रुचि-साहित्य व रचनाकार 
विषय-वीरस,चिंतन,देशभक्ति के गीत व कविताओं की रचना
4.उपलब्धियां-आकाशवाणी इंदौर से 7 बार काव्य पाठ किया व स्थानीय,जिलास्तरीय व अखिल भारतीय मंचो से भी  काव्यपाठ किया!
वर्तमान में अर्पण कला मंच जोबट मे साहित्य प्रकोष्ठ का प्रभार है.
5.बचपन से साहित्य के प्रति  रुचि व हिन्दी के प्रति प्रेम

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।