#संध्या चतुर्वेदीअहमदाबाद, गुजरात
Read Time1 Minute, 8 Second
हो रहा अत्याचार मासूमों पर माँ,
बिलख रही किलकारी है माँ।
ले कर के खड्ग और त्रिशूल माँ,
दुष्टों के शीश भेट चढ़ा जाओ।
हे माँ प्रचंड रूप धर आ जाओ।।
तब कोख में मरती थी कन्या
अब तो जन्म के बाद उजड़ती है ।
पैदा करने वाला बन गया भक्षक
किस से अब रक्षा की गुहार करें माँ।
ले तलवार इन पिता रूपी दानव का सर
धड़ से अलग कर जाओ माँ।
हे माँ प्रचंड रूप धर आ जाओ।
भाई बहन की आबरू लुटे,कैसा कलयुग आया है।
पिता बन गया अब भक्षक देख माँ का दिल घबराया है।
कोई जगह बची नही अब जहाँ बेटी हो सुरक्षित
।
नन्ही कन्या रूप देवी का फिर क्यों बेबस होती है?
नन्हे नन्हे से कोमल बदन पर क्यों जख्मों को सहती है ?
अब धरती पर आ जाओ माँ
हे माँ प्रचंड रूप धर आ जाओ।।
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
August 14, 2020
कब तक सच्चाई झुठलाएँगे
-
May 11, 2021
जैसे कर्म के रहे हैं,वैसे ही फल पा रहे हैं
-
March 6, 2019
शिव
-
July 21, 2019
जैसे करोगे वैसा ही पाओगे
-
June 8, 2021
याद जिंदा रहनी चाहिए