अपने काव्य संग्रह ’वारांगना (व्यथांजलि)’ में डॉ. अर्पण जैन ’अविचल’ स्त्री के उस रूप की मार्मिक अंर्तव्यथा संसार के समक्ष रखना चाहता हैं,जिसे समाज हेय और घृणा की दृष्टि से देखता है।जिसके विषय में बात करने से भी समाज कतराता है। संभवतया स्त्री रचनाकार भी जिस विषय पर रचना करने […]

किश्तो में सही मुहब्बत को तू कर्ज देकर जाए । सूद समेत लौटाउगी थोड़ी सी मोहलत भी तू दे जाए वक्त भी है फुर्सत भी है कुछ वादा करके ही जाए पुरानी पड़ी दिल में यादों को ताज़ा करके जाए मुझे क्या पता वो लौट कर आए या ना आए […]

आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई फिर धरती पर आ जाओ तुम्हे बुलाती ब्रज की नारी अब धरती पर आ जाओ। हुई है बोझल पृथ्वी सारी सहते सहते अत्याचार। बढ़ रही है पाप की दुनियां नित होता कन्याओं से व्यभिचार। आ जाओ अब कृष्णा मेरे ले चक्र सुदर्शन हाथों में। दण्डित […]

हे सदा शिव, हे अंतरयामी हे महाकाल, हे त्रिपुरारी हे नागेश्वर ,हे रुद्राय हे नीलकंठ ,हे शिवाय हे शिव शम्भू ,हे प्रतिपालक हे दयानिधि ,हे युग विनाशक हे गौरी पति,हे कैलाशी हे काशीवासी, हे अविनाशी हे पिनाकी ,हे कपाली हे कैलाशी, हे जगतव्यापी हे गंगाधराय ,हे जटाधराय हे जगतपिता,हे सर्वव्यापी […]

बहुत याद आता है मुझको वो यमुना किनारा। वो नीला सा पानी,वो बहती सी धारा। वो पावन  सी भूमि,वो मथुरा हमारा।। सुबह सवेरे वो मन्दिर को जाना, वो यमुना किनारे घँटों बिताना।। वो बचपन की मस्ती,वो बहता सा पानी।। बहुत याद आता है मुझ को यमुना किनारा। वो बहनों के […]

शब्द शब्द में सोचा तुम को फिर अक्षर अक्षर याद किया। प्रिय तुम्हारी खामोशी का ऐसे मैने एहसास किया।। तुम पर जब भी गीत लिखा। उस को लिखकर चुम लिया।। प्रिय तुम्हारी यादों को फिर अंतस मन से याद किया।। जहाँ मिले थे हम तुम पहले उस पल को फिर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।