विश्व वन्दनीय वात्सल्य मूर्ति साकार,
‘माँ’स्वयं ही है एक परिपूर्ण संसार..
दूर करे जो मन के,सब क्लेश विकार।
‘माँ’ के स्पर्श में छिपा सुकून अपार,
पहाड़-सी विपदा हो जाए बेड़ा पार.
‘माँ’ के आशीष से मिले सब संसार।
चाहे सुख,या दुःख की बहे बयार,
‘माँ’के आँचल में दुआओँ की बहार..
सींचे संतति देकर नित नए संस्कार।
‘माँ’ के ममत्व की महिमा अपरम्पार,
सनातन धरम करे सदा से यही प्रचार..
‘माँ’ को नित नमन वंदन नमस्कार।
प्रेरणा स्रोत बन करती नैय्या पार,
‘माँ’को प्रभु तुल्य कहे ये संसार..
मातृ दिवस मनाना तब हो साकार,
‘माँ’की आँखों में न हो कभी अश्रुधार।
#श्वेता जोशी
परिचय : इंदौर निवासी श्रीमती श्वेता जोशी बीएससी सहित एम.ए.(अंग्रेज़ी साहित्य) और बी.एड.भी किया है।एक वर्ष से आप स्वतंत्र लेखन (मुख्यतःकाव्य) में सक्रिय हैं। गृहिणी के साथ ही वर्तमान में रोटरी अंतरराष्ट्रीय मंडल की मासिक पत्रिका की संपादक का दायित्व भी निभा रही हैं।