भारत रत्न सितारवादक पण्डित रविशंकर चौधरी की यादें

0 0
Read Time5 Minute, 17 Second
IMG_20190403_223101
7 अप्रैल( जन्म दिवस)
  देश के प्रसिद्ध सितारवादक एवम संगीतज्ञ पण्डित रविशंकर चौधरी का जन्म 7 अप्रैल 1920  को बनारस,ब्रिटिश भारत मे हुआ था।  पश्चिमी बंगाल के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में इनका जन्म हुआ था। ये एक प्रख्यात वकील के बेटे थे।  ये दस साल की उम्र में पेरिस चले गए थे।उन्होंने विश्व के कई संगीत उत्सवों में भाग लिया है। उनके युवा वर्ष यूरोप व भारत मे अपने भाई उदयशंकर के नृत्य समूह के साथ दौरा करते हुए बीते। रविशंकर ने भारतीय संगीत की शिक्षा उस्ताद अल्लाउदीन खाँ से प्राप्त की।
रविशंकर ने 1938 से 1944 तक
सितार का अध्ययन किया। और फिर स्वतंत्र तौर से काम करने लगे। बाद में उनका विवाह अन्नपूर्णा से हुआ।  वह उस्ताद अल्लाउद्दीन ख़ाँ की बेटी थी।
   रविशंकर ने फिल्मों में भी संगीत दिया। सत्यजीत रे की फिल्मों में संगीत दिया।1949 से 1956 तक उन्होंने आल इंडिया रेडियो में बतौर संगीत निर्देशक काम किया।1960 के बाद उन्होंने यूरोप के दौरे शुरू किए। और जॉर्ज हेरिशन के साथ काम किया। उनकी बेटी भी सितार बजाती है। उनका नाम संगीत की दुनिया मे चमकता है। दूसरी बेटी गायिका है। अनुष्का शंकर सितार वादक व नोराह जोन्स शीर्षस्थ गायिका में शामिल है। 1999 में पंडित रविशंकर जी को भारत रत्न प्रदान किया गया।
 इन्हें कला के क्षेत्र में भारत सरकार ने पद्म भूषण से समान्नित किया।इन्हें तीन बार ग्रेमी अवार्ड से नवाजा गया।
   भारतीय संगीत व पाश्चात्य संगीत के संलयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पंडित रविशंकर ने भारत,कनाडा,यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में फिल्मों और नृत्य नायक के संगीत से जुड़े कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उन्हें फ़िल्म गांधी में संगीत के लिए अकादमी पुरस्कार के लिए भी नामित किया था। उन्होंने फिलिप ग्लास पैसजेज और ओरियन के लिए भी संगीत दिया।
   पंडित जी को चौदह डॉक्टरेट और डिसिकोट्स सहित विश्व भर से कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। इन्हें मैग्सेसे पुरस्कार, पद्म विभूषण,दो ग्रेमी अवार्ड,जापान से ग्राण्ड फुकुओका पुरस्कार ओर ग्लोबल एम्बेसेडर के शीर्षक के साथ दाओस से क्रिस्टल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वे अमेफिकि संगीतकारों के अंतर्राष्ट्रीय मंच के भी सदस्य थे। भारत के यह संगीत राजदूत संयुक्त राष्ट्र अकादमी ऑफ आर्ट्स एन्ड लेटर्स के एक सम्मानित सदस्य थे।
  पश्चिम में भारतीय संगीत को लोकप्रिय बनाने का श्रेय सितार वादक पंडित रवि शंकर को जाता है।उनके शास्त्रीय संगीत और कई अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ उनकी सहभागिता के कारण उनको पूरी दुनिया मे खूब प्रशंसा मिली।
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

उपनिषदों की पंडिता डॉ. वेदवती वैदिक का निधन, हिन्दीग्राम ने दी श्रद्धांजलि

Thu Apr 4 , 2019
नई दिल्ली। उपनिषदों की विख्यात विदुषी प्रो. वेदवती वैदिक का आज निधन हो गया है। दिल्ली के लीवर—इंस्टीट्यूट में उनका उपचार चल रहा था। आप प्रसिद्ध पत्रकार एवं मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक डॉ. वेदप्रताप वैदिक की धर्मपत्नी हैं। उनकी आयु 70 वर्ष थी। उनका पार्थिव शरीर 11 बजे, धर्मभवन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।