लड्डू गोपाल

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sachin

मेरे घर में खुशींया छाई, और मन हर्षाया है,,
मैनें लड्डू गोपाल जबसे तुमको चाहा है,,
राधा सी प्रीत भी होती है, मीरा सी लगन भी लग जाए,,
हार भी जीत सी होती है, धरती से गगन जब मिल जाए,,
मन पावन हो जाता है, कान्हा से लगन जब लग जाए,,
बजंर उपवन बन जाता है, कान्हा का अकुंर जब लग जाए,,
जग बेगाना लगता है, जबसे तुमको पाया है,,
मैने लड्डू गोपाल जबसे तुमको चाहा है,,
मेरे सूनेपन को दूर किया, घर आगंन में मगंल छा जाए,
मेरे कान्हा का रूप सलोना , किसी की नजऱ ना लग जाए,,
मैनें अक्षर जोड़ जोड़ कान्हा , प्रेम मिलन के गीत कहे,,
तेरे दृश की अखिंया प्यासी है, विरह के इनमे नीर बहे,,
तेरे इश्क़ का रंग चढ़ा ऐसा , फिर कोई ना रगं भाया है,,
मेरे घर में खुशीयां छाई, और मन हर्षाया है,,
मैनें लड्डू गोपाल जबसे तुमको चाहा है,,

#सचिन राणा हीरो
हरिद्वार(उत्तराखंड)

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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