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अब फोड़ो मटकी बिहारी तुम
बहुतों की देखो छलक रही,
अब दहिरा ढूंढो न इसमें तुम
छल कपट से देखो उबल रही,
अब मटकी फोड़ो बिहारी तुम।
कहीं भ्रष्टाचार से भरी हुई,
कही नफरत-द्वेष से भरी हुई
कहीं जाति-पाती की बातों से,
कहीं राग-विराग की घातों से
अब मटकी देखो छलक रही,
अब मटकी फोड़ो बिहारी तुम।
कहीं सत्य के आँसू से भरी हुई,
कहीं झूठ के दम्भ से अड़ी हुई
कहीं धर्म की साँच से टँगी हुई,
कहीं चीत्कार से है भरी हुई
अब मटकी देखो छलक रही,
अब मटकी फोड़ो बिहारी तुम।
कहीं चिंता से,कहीं चिंतन से,
कहीं मंथन से कहीं क्रंदन से
कहीं काले धन की कालिख से,
कहीं वादों-इरादों के मालिक से
अब मटकी देखो छलक रही,
अब मटकी फोड़ो बिहारी तुम।
अब गोपियों के घर न जाना तुम,
अब गोये बेचारी तड़प रही
बन भोजन बन के परस रही,
आंखों से अश्रु बन बरस रही
अब पाप की मटकी छलक रही,
अब मटकी फोड़ो बिहारी तुम॥
# बबीता चौबे ‘शक्ति’
परिचय: श्रीमती बबीता चौबे लेखन में उपनाम ‘शक्ति’ लगाती हैं। आपका जन्म स्थान-दमोह(मध्यप्रदेश) तथा निवास भी स्टेशन के पास दमोह में ही है। नर्सिंग की पढ़ाई के पश्चात जिला चिकित्सालय में नर्स के पद पर पदस्थ हैं। लेखन में आप कविता,गीत, लघुकथा, व्यंग्य,लेख सहित गजल,संस्मरण आदि रचती हैं। साहित्यिक गतिविधियों में हिन्दी लेखिका संघ इकाई दमोह की सह सचिव और राष्ट्रीय कवि संगम में जिला अध्यक्ष सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बुन्देल खण्ड साहित्यकार सूची में शामिल होने के साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हैं तो, जबलपुर व दमोह में टीवी पर भी रचनाओं का प्रसारण हुआ है। अगर सम्मान की बात की जाए तो,दिल्ली में २००८ में साहित्य श्री से सम्मानित, साहित्य श्री सम्मान मिला है और ‘मोहे ले चल हरसिध्दि माँ के द्वारे’ तथा ‘मैया की बोले पायलिया’ भक्ति गीत के एलबम में गीतकार के रुप में पहचान मिली है।
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