गुलाबी रंग फूलों में।
सजा है संग शूलो में।
सजे ये ओस के मोती।
धरा अहसास के बोती।
कहें ऋतु फाग होली की।
हवाएँ गीत बोली की।
दहकना है पलाशों का।
गया मौसम हताशों का।
प्रकृति सौगात देती हैं।
धरा उपहार लेती है।
तभी तो रीति होली हो।
सही मन प्रीत भोली हो।
मिलेंगे कृषक खेतों में।
खिलें फसलें चहेतों में।
परीक्षा छात्र अब देते।
मिले जो कर्म फल लेते।
सुहानी याद रह जाती।
बसंती याद बस आती।
पड़ेगा ताप जब आगे।
सभी रौनक लगे भागे।
रहेगी छाँव की चाहत।
मिलेगी नीर से राहत।
करें बस याद यादों की।
सुहाने प्रीत वादों की।
रहेंगे याद हम जोली।
बने जो मीत इस होली।
तिरंगा मान के खातिर।
मिलेंगे मीत हम हाजिर।
पुरानी बीत जाएगी।
नई ऋतु साल लाएगी।
घटाएँ लौट आएँगी।
बहारें फाग गाएगी।
मनेंगी होलिका फिर से।
चलेंगी टोलियाँ घर से।
निराशा क्यों रहे मन में।
भरें आशा सभी जन में।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः