आजादी के हित नायक थे,
. उनको शीश झुकाते हैं।
भगत सिह सुखदेव राजगुरु,
. अमर शहीद कहातें हैं।
*भगतसिंह* तो बीज मंत्र सम,
. जीवित है अरमानों में।
भारत भरत व भगतसिंह को,
. गिनते है सम्मानों में।
*राजगुरू* आदर्श हमारे,
. नव पीढ़ी की थाती है।
इंकलाब की ज्योति जलाती,
. दीपक वाली बाती है।
*सुख देव* बसे हर बच्चे में,
. मात भारती चाहत है।
जब तक इनका नाम रहेगा,
. अमर तिरंगा भारत है।
जिनकी गूँज सुनाई देती,
. अंग्रेज़ों की छाती में।
वे हूंकार लिखे हम भेजें,
. वीर शहीदी पाती में।
इन्द्रधनुष के रंग बने वे,
. आजादी के परवाने।
उन बेटों को याद रखें हम,
. वीर शहादत सनमाने।
याद बसी हैं इन बेटों की,
. भारत माँ की यादों में।
बोल सुनाई देते अब भी,
. इंकलाब के नादों में।
तस्वीरों को देख आज भी,
. सीने फूले जाते हैं।
उनके देशप्रेम के वादे,
. सैनिक आन निभाते हैं।
वीर शहीदी परंपरा को,
. उनकी याद निभाएँगे।
शीश कटे तो कटे हमारे,
. ध्वज का मान बढ़ाएँगे।
श्रद्धांजलि हो यही हमारी,
भारत माँ के पूतों को।
याद रखें पीढ़ी दर पीढ़ी,
. सच्चे वीर सपूतों को।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः