अमृतसे भरा है दिल मेरा,
जो सागर जितना सत
पूनमचंद के पप्पू के पास
बुजुर्ग माँ लिखाती खत..
पप्पू उसका मुंबई गांव में,
परेश भाई प्रेमजी नामे
लिखती हैं मैया।
पाँच बरस में पहुँची नहीं,
एक पाई..
कागज की एक चिट्ठी भी, नहीं मिली मेरे भाई..
समाचार सुन के तेरा
रोना हमें कितने दिन ?
भांजी का भांजा लिखता है कि,पप्पू और मेरा मिलन होता है रोज-रोज पूरा दिन।
मजदूरी करे,रात को होटल में खाए..
रोज-रोज नए कपड़े पहने,
पानी की तरह पैसे फेंके
होटल का ज्यादा खाना नहीं,
रखना खर्चे का हिसाब..
दवाई के पैसे कहाँ से लाएगा मेरे भाई ?
घर बेचा, खेत भी बेचा,
तंबू में किया है निवास..
जुवार की रोटी मिले नहीं,
उस दिन पीती अकेली छाछ..
तुम्हें मिले पकवान की थाली, हमें रोज छाछ की प्याली..।
रोज कचरा पोंछा करती,
अंधी मां को कुछ न देती धरती..
तेरे गांव बिजली के दीए,
मेरा घर अँधेरा पिये..
खत तेरी अंधी माँ का पढ़ना,
अब नहीं जीने की तमन्ना..
फट गया है मेरा पूरा पन्ना,
कोठी में नहीं अन्न का दाना..
जब भी आना,ऐसे आना,
माँ के लिए कफ़न ही लाना।
#गुलाबचन्द पटेल
परिचय : गांधी नगर निवासी गुलाबचन्द पटेल की पहचान कवि,लेखक और अनुवादक के साथ ही गुजरात में नशा मुक्ति अभियान के प्रणेता की भी है। हरि कृपा काव्य संग्रह हिन्दी और गुजराती भाषा में प्रकाशित हुआ है तो,’मौत का मुकाबला’ अनुवादित किया है। आपकी कहानियाँ अनुवादित होने के साथ ही प्रकाशन की प्रक्रिया में है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन(प्रयाग)की ओर से हिन्दी साहित्य सम्मेलन में मुंबई,नागपुर और शिलांग में आलेख प्रस्तुत किया है। आपने शिक्षा का माध्यम मातृभाषा एवं राष्ट्रीय विकास में हिन्दी साहित्य की भूमिका विषय पर आलेख भी प्रस्तुत किया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय(दिल्ली)द्वारा आयोजित हिन्दी नव लेखक शिविरों में दार्जिलिंग,पुणे,केरल,हरिद्वार और हैदराबाद में हिस्सा लिया है। हिन्दी के साथ ही आपका गुजराती लेखन भी जारी है। नशा मुक्ति अभियान के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी दवारा भी आपको सम्मानित किया जा चुका है तो,गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल ने ‘धरती रत्न’ सम्मान दिया है। गुजराती में ‘चलो व्यसन मुक्त स्कूल एवं कॉलेज का निर्माण करें’ सहित व्यसन मुक्ति के लिए काफी लिखा है।