माया है संसार यहाँ है सत नारी।
जन्माती है, पूत निभाती वय सारी।
बेटी माता पत्नि बनी वे बहिना भी।
रिश्ते प्यारे खूब निभे ये कहना भी।
होती है श्रृद्धा मन से ही जन मानो।
नारी सृष्टी सार रही है पहचानो।
नारी का सम्मान करे जो मन मेरे।
हो जाए कल्याण हमेशा तन तेरे।
नारी है दातार सदा ही बस देती।
नारी माँ के रूप विचारें जब लेती।
नारी पृथ्वी रूप सदा ही सहती है।
गंगा जैसी धार हमेशा बहती है।
माताओ ने पूत दिए हैं जय होते।
सीमा की रक्षाहित वे जो सिर खोते।
पन्ना धायी त्याग करे जो जननी है।
होगा कैसा धीर करे जो छलनी है।
होती हैं वे वीर हमारी बहिने तो।
भाई को भेजे अपना देश बचे तो।
बेटी का तो रूप सदा ही मन जाने।
होती है ईश्वर यही भारत माने।
पन्नाधायी रीत निभाती तब माता।
बेटा प्यारा ओढ़ तिरंगा घर आता।
पत्नी वीरानी मन सिंदूर लुटाती।
पद्मा जैसे जौहर की याद दिलाती।
राखी खो जाती बहिनें ये बिलखाती।
नारी का ही रूप तभी तो सह जाती।
दादी नानी की कहनी है मनबातें।
वीरो की कुर्बान कथाएँ सब राते।
नारी कल्याणी धरती के सम होती।
संस्कारों के बीज सदा ही तन बोती।
माता मेरा शीश नवाऊँ पद तेरे।
बेटी का सम्मान करें ओ मन मेरे।
नारी कल्याणी जननी है अभिलाषी।
बेटी का सम्मान करो भारत वासी।
कैसे भूलोगे जननी को यह बोलो।
नारी भारी त्याग सभी मानस तोलो।
आजादी का बीज उगाया वह रानी।
लक्ष्मी बाई खूब लड़ी थी मरदानी।
अंग्रेजों को खूब छकाया उसने था।
नारी का सम्मान बढ़ाया जिसने था।
सीता राधा की हम क्या बात बताएँ।
लक्ष्मी दुर्गा की सब को याद कथाएँ।
गौरा गंगा भारत की शान दुलारी।
नारी कल्याणी सब की है हितकारी।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः