अर्कान-1222×4-मफाईलुन-मफाईलुन-मफाईलुन-मफाईलुन.
शहीदों की चिताओं में लगें मेले मुनासिब है।
शहादत को रखेंगे याद मुमकिन यार वाज़िब है।-01
रखें महफूज़ सरहद को यकीनन जान से खेले,
जमाना ये कहे सैनिक बड़ा अय्यार साहिब है।-02
शहादत भी वतन के वास्ते ज़न्नत हुआ करती,
तलब हो जब हिफाज़त की वही तो यार तालिब है।-03
हिफ़ाज़त मुल्क़ वालों की करेे जो खेल के जाँ पे,
वही कहता अदब का शूरमाँ वो यार ग़ालिब है।-04
फ़रेबी हो जो वाशिन्दा यकीनन ही मिले दोख़ज,
जमाना ये कहे ज़ाहिल वो बेअदबी के जानिब है।-05
यकीनन सरज़मीं अपनी वो है क़ाबिल इबादत के,
ज़मी ज़र्रा के ख़ातिर जो मरे वो शख़्स भी रब है।-06
इल्म वालों ने फ़रमाया वतन से इश्क”ध्रुव” ज़ायज,
सितारे हों कि ग़र्दिश मे कसौटी यार भी तब है।-07
#प्रदीपमणि तिवारी ‘ध्रुवभोपाली’
परिचय: भोपाल निवासी प्रदीपमणि तिवारी लेखन क्षेत्र में ‘ध्रुवभोपाली’ के नाम से पहचाने जाते हैं। वैसे आप मूल निवासी-चुरहट(जिला सीधी,म.प्र.) के हैं,पर वर्तमान में कोलार सिंचाई कालोनी,लिंक रोड क्र.3 पर बसे हुए हैं।आपकी शिक्षा कला स्नातक है तथा आजीविका के तौर पर मध्यप्रदेश राज्य मंत्रालय(सचिवालय) में कार्यरत हैं। गद्य व पद्य में समान अधिकार से लेखन दक्षता है तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते हैं। साथ ही आकाशवाणी/दूरदर्शन के अनुबंधित कलाकार हैं,तथा रचनाओं का नियमित प्रसारण होता है। अब तक चार पुस्तकें जयपुर से प्रकाशित(आदिवासी सभ्यता पर एक,बाल साहित्य/(अध्ययन व परीक्षा पर तीन) हो गई है। यात्रा एवं सम्मान देखें तो,अनेक साहित्यिक यात्रा देश भर में की हैं।विभिन्न अंतरराज्यीय संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया है। इसके अतिरिक्त इंडो नेपाल साहित्यकार सम्मेलन खटीमा में भागीदारी,दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भी भागीदारी की है। आप मध्यप्रदेश में कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।साहित्य-कला के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया है।