मेरी बहू…

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anupa harbola
“आज रेखा कहाँ रह गईं?” लाइम सोडा पीते हुए अंजू बोली।
कहाँ रहेगी रेखा? किट्टी पार्टी तो रेखा की जान है, ये रही रेखा,” सोफे पर बैठते हुए रेखा बोली।
“ये मिठाई किस लिए?”  रेखा के हाथ में डिब्बे देख अंजू ने पूछा।
“ये मिठाई तुम सबके लिए, लो मुँह मीठा करो,  मेरे बेटे की शादी तय हो गई है।”
 “अरे वाह! बधाई, कहाँ की है लड़की?” मिठाई का एक पीस लेते हुए अंजू बोली।
“अमेरिकन है, उसी के साथ ऑफिस में काम करती है।”
“अच्छा…”
“भई! जिसमें बच्चे खुश, उसी में हमारी मर्जी… हमारा तो यही मानना है।”
“पर एडजस्टमेंट में दिक्कत होगी, तुम्हें भी और उसे भी…”
“कर लेंगे यार, थोड़ा-थोड़ा दोनों करेंगें तो कुछ कठिन नहीं, कम से कम मेरा बेटा शादी तो कर रहा है, वो भी लड़की से, वरना आजकल की हवा तो तुम जानती ही हो…।”
#अनूपा हरबोला
विद्यानगर (कर्नाटक)

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।