हे कैलाशी , घट घट वासी,
मन मेरा ,दर्शन अभिलाषी।
हे शिव शंकर , प्रलयंकारी,
तांडव कर,भोले अविनाशी।
डमरू वाले , गौरी शंकर,
कर त्रिशूल, बाघम्बर धारी।
हे,जगपालक, जगसंहारक,
भूतनाथ, शिव मंगलकारी।
कंठ हार में, नाग सोहते,
नीलकंठ, भोले त्रिपुरारी।
जटाजूट सिर, चन्द्र गंग है,
भंग विल्व, संगत आहारी।
हे परमेश्वर , करता सेवा,
विनती सुन, ले नाथ हमारी।
दुष्टदलन कर,भक्तों के हित,
निर्मल जग,देना अविकारी।
नयन तीसरा, नहीं खोलना,
समय नहीं, देवा आया है।
सृष्टि हमारी ,कृपा आपकी,
चलने दो, प्रभु की माया है।
ध्यान रखों प्रभु,ध्यान लगाते,
उत्तम पथ, मानव मन धारें।
अन्यायी अरु, आतंकी के,
सम्मुख प्रभु,हम कभी न हारे।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः