मधुकर बासंती हुए, भरमाए निज पंथ।
सगुण निर्गुणी बहस में, लौटे प्रीत सुपंथ।
लौटे प्रीत सुपंथ, हरित परवेज चमकते।
गोपी विरहा संत, भ्रमर दिन रैन खटकते।
कहे लाल कविराय,सजे फागुन यों मनहर।
कली गोपियों बीच, बने उपदेशी मधुकर।
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भँवरा कलियों से करे, निर्गुण पंथी बात।
कली गोपियों सी सुने, भ्रमर कान्ह सौगात।
भ्रमर कान्ह सौगात,स्वयं का ज्ञान सुनाता।
देख गोपियन प्रेम,कली,अलि कृष्ण सुहाता।
कहे लाल कविराय, भ्रमर का जीवन सँवरा।
रंग बसन्ती सन्त, फिरे मँडराता भँवरा।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः