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वो मुठ्ठी में समंदर को जकड़ना चाहता है।
वो नन्हा परिंदा आसमाँ पकड़ना चाहता है।।
अभी चंद रोज पहले ही चलना शुरू किया है उसने।
मगर वो तेज हवाओ के तुफानो को हराना चाहता है।।
छोटा सा दिया जो कर ना सका अपने तले उजाला।
मगर वो दिया दुनिया मे उजाले फैलाना चाहता है।।
हमेशा काँटो पर सफर जीवन का चला उसका,
मगर फिर भी वो दुनिया को काँटो से बचाना चाहता है।
संसार के झूठे रिश्तों में बना ना आशियाना जिसका,
वो भगवान से सबके लिए एक आशियाना चाहता है।
#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
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