#पूनम (कतरियार)
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जगदंबे-जगजननी
जगत की महारानी
किये सोलहवों सिंगार
भव्य रूप है तुम्हार
माथे टीका है सजा
सिंदुर से मांग है भरा
गले में हंसुंली सोहे
झूमका मन को मोहे
कर में कंगन की चमक
कटि-किंकिणी की दमक
बोले रुनझुन पायलियां
बाजे बिछुआ पैजनियां
गुड़हल-सी लाल- चूनरी
सबके हृदय बस रही
धर कर त्रिशूल-कटार
करती असुरों का संहार
पूरी करने हमारी आस
भवानी आईं हमारे द्वार
अपराजिता-हरसिंगार
नीम के पत्तों की बहार
नाचो झूम -झूमकर
पुकारो गान गाकर
ताशे की छाये झंकार
ढोल बजाओ बारंबार
जगत के कोने-कोने में
अम्बे का सज गया दरबार
मां, अब दे दो आशीर्वाद
करूं मैं तेरी जय -जयकार!!
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