माता व पिता,
ईश्वर ही तो होते हैं..
घर मन्दिर।
घर आँगन,
सजे हैं बेटियों से..
सम्मान पात्र।
भला ही लागे,
प्रफुल्लित मन से..
हर त्यौहार।
शक़ का बीज,
एक बार जो बोया..
टूटते रिश्ते।
#कल्पना भट्ट
परिचय : पेशे से शिक्षिका श्रीमती कल्पना भट्ट फिलहाल भोपाल (मध्य प्रदेश ) की निवासी हैं। 1966 में आपका जन्म हुआ और आपने अपनी पढ़ाई पुणे यूनिवर्सिटी से 1984 में बी.कॉम. के रुप में की। विवाह उपरांत भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से बी. एड.और एम.ए.(अंग्रेजी) के साथ एलएलबी भी किया है। आप लेखन में शौकिया तरीके से निरंतर सक्रिय हैं।